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भारत के इस मिशन के लिए पूरी ताकत झोंक रहा है अमेरिका, पाकिस्तान-चीन की टेंशन बढ़ी

क्या आप जानते हैं कि दुनिया की बड़ी-बड़ी शक्तियां अब भारत की तरफ एक अलग ही नज़र से देख रही हैं। खासकर अमेरिका की एक कंपनी ब्रुकफील्ड एसेट मैनेजमेंट लिमिटेड (brookfield asset management) भारत में एक बड़ा दांव लगाने जा रही है और वो भी किस क्षेत्र में। परमाणु ऊर्जा (Nuclear Energy)! यह खबर सिर्फ आर्थिक नहीं बल्कि भू-राजनीतिक मोर्चे पर भी चीन और पाकिस्तान (pakistan china reaction) दोनों की टेंशन बढ़ाने वाली है।

ब्रुकफील्ड का भारत में 100 बिलियन का ‘महा-निवेश’

ब्रुकफील्ड एसेट मैनेजमेंट लिमिटेड जो भारत में पहले से ही एक बड़ी निवेशक है अगले पांच सालों में भारत में 100 बिलियन डॉलर से ज़्यादा का निवेश करने की योजना बना रही है। जी हां आपने सही पढ़ा – 100 बिलियन डॉलर! कंपनी के एक बड़े कर्मचारी ने तो यहां तक कह दिया है कि वे परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं (nuclear power projects) को भी समर्थन देने के लिए तैयार हैं। ये संकेत देता है कि भारत अब सिर्फ अक्षय ऊर्जा तक सीमित नहीं है बल्कि परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भी दुनिया की नज़रें उस पर टिकी हैं। हाल ही में भारत सरकार ने भी इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं।

भारत का ‘मिशन न्यूक्लियर एनर्जी’: 2032 तक बड़ा लक्ष्य

भारत अपनी बढ़ती ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने और पर्यावरण लक्ष्यों को पाने के लिए निरंतर अपनी परमाणु ऊर्जा क्षमता बढ़ा रहा है। सरकार ने 2031-32 तक परमाणु ऊर्जा क्षमता को मौजूदा 8180 मेगावॉट से बढ़ाकर 22480 मेगावॉट करने का लक्ष्य रखा है। यह कोई छोटा-मोटा लक्ष्य नहीं है।

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इस विस्तार में गुजरात राजस्थान तमिलनाडु हरियाणा कर्नाटक और मध्य प्रदेश में कुल 8000 मेगावॉट के दस रिएक्टरों का निर्माण और उन्हें चालू करना शामिल है। इसके अलावा 10 और रिएक्टरों के लिए भी काम शुरू हो गया है जिन्हें 2031-32 तक पूरा करने की योजना है। और तो और आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के कोव्वाडा में अमेरिका के सहयोग से 6 x 1208 मेगावॉट का परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने की सैद्धांतिक मंजूरी भी मिल गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी फ्रांस और अमेरिका के दौरों पर परमाणु ऊर्जा सहयोग पर खुलकर बात की है जो इस क्षेत्र में भारत की गंभीरता को दर्शाता है।

क्यों है अमेरिका की दिलचस्पी (america investment india)

आप सोच रहे होंगे कि अमेरिका छोटी परमाणु भट्ठियों (Small Modular Reactors – SMRs) में इतना बड़ा दांव क्यों लगा रहा है। दरअसल परमाणु ऊर्जा भारत में बिजली का पांचवां सबसे बड़ा स्रोत है और यह देश के कुल बिजली उत्पादन में करीब 2-3% का योगदान देता है।

परमाणु ऊर्जा (india nuclear energy) क्यों महत्वपूर्ण है

स्वच्छ ऊर्जा: यह ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन नहीं करती जिससे पर्यावरण को फायदा होता है।
विश्वसनीयता: यह नियमित बिजली की आपूर्ति करती है जो सौर या पवन ऊर्जा की तरह मौसम पर निर्भर नहीं करती।
कम पर्यावरणीय प्रभाव: यह भूमि और प्राकृतिक संसाधनों पर सबसे कम असर डालती है।
यही वजह है कि अमेरिका की नज़र छोटे परमाणु रिएक्टरों पर है जिन्हें ‘परमाणु भट्ठी’ भी कहा जाता है जो रोज़मर्रा की ज़रूरतों को पूरा कर सकते हैं।

भारत का 2047 का लक्ष्य, 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा

भारत का लक्ष्य साल 2047 तक कम से कम 100 गीगावाट की परमाणु ऊर्जा क्षमता हासिल करना है। इस लक्ष्य को पाने के लिए परमाणु ऊर्जा उत्पादन को बढ़ाने और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की ज़रूरत है। जैसे ही भारत अपने परमाणु दायित्व कानून में संशोधन करेगा (जो विदेशी कंपनियों को भारी जुर्माने के डर से निवेश करने से रोकता है) उम्मीद है कि विदेशी कंपनियां भारी-भरकम निवेश के साथ भारत की ओर रुख करेंगी।

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ब्रुकफील्ड की ‘3डी’ निवेश रणनीति क्या

ब्रुकफील्ड का मुख्यालय न्यूयॉर्क में है और इसका लक्ष्य इस दशक में अपनी संपत्ति को लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर से दोगुना करना है। ब्रुकफील्ड एसेट मैनेजमेंट के अध्यक्ष कॉनर टेस्की ने कहा है कि “हम परमाणु ऊर्जा में विश्वास करते हैं। हमें लगता है कि यह साफ और निरंतर बिजली देने का एक अच्छा तरीका है। इससे दुनिया भर में ऊर्जा की बढ़ती मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी।” उन्होंने भविष्य में स्वच्छ ऊर्जा की बढ़ती मांग पर ज़ोर दिया जिसमें प्राकृतिक गैस और परमाणु ऊर्जा दोनों शामिल हैं।

अमेरिका में ब्रुकफील्ड के पास वेस्टिंगहाउस न्यूक्लियर (Westinghouse Nuclear) है जो परमाणु ऊर्जा क्षेत्र की एक बड़ी कंपनी है। यह दुनिया भर में बिजली कंपनियों को परमाणु ऊर्जा संयंत्र ईंधन और सेवाएं देती है। टेस्की ने बताया कि दुनिया भर में आधे से ज़्यादा परमाणु ऊर्जा उत्पादन वेस्टिंगहाउस की तकनीक से होता है।

कंपनी की निवेश रणनीति को ‘3डी’ – डीकार्बोनाइजेशन (decarbonisation) डिजिटलाइजेशन (digitalisation) और डीग्लोबलाइजेशन (deglobalisation) बताया गया है। टेस्की ने कहा कि इन रुझानों ने पिछले पांच सालों में कंपनी को काफी बढ़ाया है और आगे भी विकास के कई मौके मिलेंगे।

भारत के ‘स्मॉल रिएक्टर’ (BSR), क्रांति का नया नाम

भारत लघु रिएक्टर (BSR) मूल रूप से कॉम्पैक्ट परमाणु रिएक्टर हैं जिन्हें पारंपरिक बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्रों (india nuclear energy) की तुलना में छोटे पैमाने पर बिजली पैदा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। बीएसआर भारत की आजमाई हुई और परखी हुई 220 मेगावाट दबावयुक्त भारी पानी रिएक्टर (PHWR) प्रौद्योगिकी पर आधारित होंगे जिनमें से 16 इकाइयां देश में पहले से ही चालू हैं। अब इसमें निजी क्षेत्र की भी भागीदारी होगी जो इसे और भी गति देगा।

अब तक का निवेश और भविष्य की तस्वीर

देश में वर्तमान में 24 परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों की कुल स्थापित परमाणु ऊर्जा क्षमता 8180 मेगावाट है। 15300 मेगावॉट क्षमता के 21 परमाणु रिएक्टर अलग-अलग चरणों में हैं और 7300 मेगावॉट क्षमता के 9 रिएक्टर निर्माणाधीन हैं। 8000 मेगावॉट क्षमता के 12 रिएक्टर परियोजना पूर्व गतिविधियों के तहत हैं।

ब्रुकफील्ड ने 2014 से भारत में लगभग 30 बिलियन डॉलर का निवेश किया है। इसमें ATC टावर्स का अधिग्रहण रिलायंस जियो के टेलीकॉम टावर और रिलायंस इंडस्ट्री्स से ईस्ट-वेस्ट पाइपलाइन खरीदना शामिल है। 12 बिलियन डॉलर इंफ्रास्ट्रक्चर और रियल एस्टेट में 3 बिलियन डॉलर रिन्यूएबल पावर और ट्रांजीशन में और 3.6 बिलियन डॉलर प्राइवेट इक्विटी और ब्रुकफील्ड स्पेशल इन्वेस्टमेंट्स में निवेश किया गया है।

कॉनर टेस्की ने कहा कि भारत में स्वच्छ ऊर्जा में विकास की संभावना अच्छी कंपनियों की संख्या और सरकार की महत्वाकांक्षा मिलकर भारत को अगला स्वच्छ ऊर्जा का सुपरपावर बनाने के लिए तैयार हैं। भारत की अर्थव्यवस्था बढ़ने के साथ-साथ ये सभी चीजें और बेहतर होंगी। इससे घरेलू मांग भी बढ़ेगी और भारत दुनिया में एक बड़ी भूमिका निभा पाएगा।

ये सब संकेत देता है कि भारत न केवल आर्थिक रूप से मजबूत हो रहा है बल्कि ऊर्जा सुरक्षा और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में भी एक वैश्विक नेता बनने की ओर अग्रसर है।

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