‘क्या सत्ता से जुड़े लोग ही सुरक्षित हैं’, पहलगाम अटैक पर अखिलेश यादव ने क्यों पूछा ये सवाल
बाइस अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ भयावह आतंकी हमला पूरे देश को भीतर तक झकझोर गया। इस हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई और इसके साथ ही देश की सुरक्षा व्यवस्था एक बार फिर कटघरे में खड़ी हो गई है। देशभर में गम और गुस्से का माहौल है और अब सियास गलियारों में भी इस घटना को लेकर तीखी प्रतिक्रिया सामने आ रही है।
इस हमले पर उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार खासकर बीजेपी पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने सुरक्षा इंतजामों में हुई चूक को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि बयान बदलने से सच्चाई नहीं बदलती।
एक पर्यटक का सवाल और अखिलेश की नाराजगी
सपा मुखिया ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट साझा करते हुए एक काल्पनिक पर्यटक की पीड़ा को शब्द दिए। उन्होंने लिखा कि पहलगाम का एक पर्यटक पूछता है, जब खतरा सामने था तो मेरी रक्षा करने वाला कोई क्यों नहीं था। जबकि कुछ लोग, जो बाद में ठग साबित होते हैं, उन्हें निजी कार्यक्रमों में भी हजारों की संख्या में सुरक्षा क्यों दी जाती है।
ये सवाल सिर्फ एक पर्यटक का नहीं बल्कि हर आम नागरिक का है जो ये सोचता है कि अगर हम टैक्स देते हैं, सिस्टम का हिस्सा हैं, तो फिर हमारी सुरक्षा क्यों प्राथमिकता नहीं बनती?
वीवीआईपी को परतों में सुरक्षा, जनता को असुरक्षा
पूर्व सीएम अखिलेश ने अपने बयान में यह भी आरोप लगाया कि जब बीजेपी अपने विवादित निजी कार्यक्रम आयोजित करती है, तो 250 वीवीआईपी के लिए हजारों सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाते हैं, मगर आम पर्यटकों और नागरिकों के लिए सुरक्षा के नाम पर कुछ नहीं किया जाता। ये दोहरे मापदंड पर सीधा सवाल है कि क्या सुरक्षा सिर्फ सत्ता से जुड़े लोगों का अधिकार बन चुकी है।
अखिलेश यादव ने सरकार को आगाह करते हुए कहा कि “जिन लोगों ने अपने परिजनों को खोया है, उनके बयान दबाव में बदले जा सकते हैं, मगर सच्चाई नहीं बदलती। ये बयान इस ओर इशारा करता है कि सत्ता अक्सर परिस्थितियों को नियंत्रित करने के लिए भावनाओं का दोहन करती है मगर पीड़ितों का दर्द कभी झूठ नहीं बोलता।
विपक्ष के सुर एक जैसे
ये हमला सिर्फ अखिलेश यादव तक सीमित नहीं है। कांग्रेस भी इस मुद्दे को जोर-शोर से उठा रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। उनका कहना है कि ऐसी घटनाओं पर सिर्फ बयानबाज़ी नहीं बल्कि गंभीर बहस और नीति निर्माण की जरूरत है।