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मानसून में डूब गई कार, ये 5 काम करोगे तो बीमा क्लेम नहीं मिलेगा

यदि आप दिल्ली, बिहार, यूपी गुरुग्राम, फरीदाबाद या नोएडा जैसे दिल्ली एनसीआर के किसी इलाके में रहते हैं और प्रति दिन कार से सफर करते हैं तो ये खबर आपके लिए है। क्यों, क्योंकि बरसात का मौसम एक बार फिर दस्तक देने वाला है और हम सभी जानते हैं कि उत्तर भारत में जरा सी बारिश होते ही सड़कें पानी-पानी हो जाती हैं नालियां ओवरफ्लो, ट्रैफिक जाम और सड़कें ऐसी जैसे किसी स्वीमिंग पूल में बदल गई हों।

बीते कुछ सालों में हम सभी ने वो स्थितियां देखी हैं पानी में आधी डूबी हुई महंगी SUV (Car drowned in monsoon), बोनट तक पानी में समाई सेडान और लोग किसी तरह अपनी गाड़ी को धक्का देकर किनारे लगा रहे हैं। इससे भी ज्यादा दर्दनाक होता है वो पल, जब बीमा कंपनी आपका क्लेम यह कहकर रिजेक्ट कर देती है कि ये आपकी गलती थी। तो सवाल उठता है इस बार मानसून में अपनी कार और अपने जेब को कैसे बचाएं। तो आईये जानते हैं-

क्या पानी से खराब हुई कार का होता है बीमा (Is there insurance for a car damaged by water)

बहुत से लोगों को लगता है कि कार बीमा सिर्फ एक्सीडेंट कवर करता है। मगर सच्चाई ये है कि कॉम्प्रिहेन्सिव मोटर इंश्योरेंस (Comprehensive Motor Insurance) में नेचुरल कैलेमिटीज यानी बाढ़, बारिश, तूफान जैसी कुदरती आपदाएं भी शामिल होती हैं। इसमें फ्लड डैमेज का कवरेज होता है।

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वहीं इंश्योरेंस पॉलिसी में मौजूद ‘कॉन्सीक्वेंशियल डैमेज’ (Consequential Damage) का क्लॉज आपकी पूरी मेहनत पर पानी फेर सकता है। आइए समझते हैं कैसे।

क्या होता है कॉन्सीक्वेंशियल डैमेज (What is consequential damage)

अगर कार बारिश के पानी में फंस गई है, और आप उसे स्टार्ट करते हैं तो पानी इंजन में चला जाता है। इंजन सीज़ हो जाता है। अब इंश्योरेंस कंपनी कहेगी कि यह डैमेज आपके द्वारा कार स्टार्ट करने के कारण हुआ है यानी यह प्रत्यक्ष रूप से बारिश से नहीं, बल्कि आपके एक्शन से हुआ है।

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इसे ही इंश्योरेंस की भाषा में ‘कॉन्सीक्वेंशियल डैमेज’ कहा जाता है और ये अधिकांश कार पॉलिसी में कवर्ड नहीं होता यानी इस स्थिति में क्लेम रिजेक्ट हो जाएगा।

तो बारिश में कार डूबने पर क्या करें (What to do if your car drowns in the rain)

अगर कभी आपको ऐसी स्थिति का सामना करना पड़े, तो घबराएं नहीं। नीचे दिए गए सुझाव अपनाएं और अपने इंश्योरेंस क्लेम को सुरक्षित रखें।

कार स्टार्ट करने की गलती बिल्कुल न करें

आपकी सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिए कि कार को स्टार्ट न करें, चाहे पानी सिर्फ दरवाजे तक हो या बोनट तक। एक बार पानी इंजन में चला गया तो खेल खत्म!

फोटो और वीडियो सबूत के तौर पर लें

आजकल हर किसी के पास स्मार्टफोन है। जैसे ही आपकी कार पानी में फंसती है, उसकी तस्वीरें और वीडियो लें चारों तरफ से, जितना संभव हो सके। यह बाद में इंश्योरेंस कंपनी को समझाने में मदद करेगा कि आपसे कोई गलती नहीं हुई।

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तुरंत इंश्योरेंस कंपनी को सूचित करें

समय का खेल है ये। जैसे ही कार फंसती है तुरंत अपनी इंश्योरेंस कंपनी को कॉल करें या ऐप के जरिए रिपोर्ट करें। क्लेम प्रोसेस तभी शुरू हो सकता है जब कंपनी को समय पर सूचना मिले।

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कार को टो या धक्का देकर निकालें

जैसे ही पानी कम हो, किसी टो ट्रक या मेकेनिक की मदद से कार को बाहर निकालें। खुद से स्टार्ट करने की कोशिश न करें वरना पूरा इंजन रिप्लेसमेंट आपके ऊपर आ सकता है।

अधिक सुरक्षा के लिए इंजन प्रोटेक्शन कवर लें

अगर आप ऐसे क्षेत्र में रहते हैं जहां हर साल बाढ़ या भारी बारिश होती है, तो इंजन प्रोटेक्शन राइडर (Engine Protection Add-on) ज़रूर खरीदें। यह आपको इंजन डैमेज से भी सुरक्षा देता है।

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इन बातों का भी रखें ध्यान

  • इंश्योरेंस पॉलिसी की टर्म्स पढ़ें: हर कंपनी की पॉलिसी अलग होती है। इसलिए उसे ध्यान से पढ़ें और समझें कि क्या-क्या कवर है और क्या नहीं।
  • कार पार्किंग का ध्यान रखें: बारिश के मौसम में निचले इलाकों में कार पार्क करने से बचें। कोशिश करें कि कार ऊंचे जगहों पर पार्क की जाए।
  • सीसीटीवी फुटेज या चश्मदीद गवाह: अगर संभव हो तो ऐसी जगह पार्क करें जहां सीसीटीवी हो — ताकि बाद में आप दिखा सकें कि गलती आपकी नहीं थी।
  • क्लेम फाइल करते समय सही जानकारी दें: झूठ बोलने या गलत विवरण देने से क्लेम रिजेक्ट होने की संभावना बढ़ जाती है।

मानसून में गाड़ी चलाने के कुछ अतिरिक्त सुझाव (Some additional tips for driving in the monsoon)

  • बारिश सिर्फ कार डूबने का ही खतरा नहीं लाती बल्कि कई और परेशानियां भी होती हैं। ये सुझाव आपके सफर को सुरक्षित बनाएंगे।
  • ब्रेक और वाइपर चेक कराएं: मानसून से पहले अपनी कार की सर्विस ज़रूर कराएं। ब्रेक्स और वाइपर ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं, यह जांचना जरूरी है।
  • टायर की ग्रिप जांचें: पुराने टायर बारिश में फिसल सकते हैं। टायर ट्रैड डीप्थ कम न हो, यह सुनिश्चित करें।
  • डिफॉगिंग सिस्टम का सही होना जरूरी है: बारिश में शीशों पर फॉग जमा होना आम है। इसलिए डिफॉगिंग सिस्टम ठीक से काम कर रहा है या नहीं, इसे चेक कराएं।
  • कम स्पीड में ड्राइव करें: गड्ढों और जलभराव में तेज़ ड्राइविंग हादसों को न्यौता देती है।

आपको बता दें कि उत्तर भारत में मानसून किसी ट्रायल से कम नहीं होता खासकर जब आप रोज़ाना कार से ऑफिस या काम पर जाते हों। मगर थोड़ी सी समझदारी और सही तैयारी से आप न सिर्फ अपनी गाड़ी को सुरक्षित रख सकते हैं बल्कि इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट होने जैसी आर्थिक मुसीबत से भी बच सकते हैं। इस बारिश के मौसम में स्मार्ट बनें, सुरक्षित रहें और सबसे जरूरी अपनी कार को स्टार्ट करने से पहले दो बार सोचें।

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