शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार: फर्जी शिक्षकों के नाम पर वेतन हड़पने का बड़ा घोटाला, कौन हैं इसके पीछे
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में शिक्षा क्षेत्र में घोटाले और धोखाधड़ी की चर्चा चल रही है, वहीं अब महाराष्ट्र का नाम भी इस कड़ी में जुड़ गया है। आपके राज्य में क्या हो रहा है? इसके लिए कौन जिम्मेदार है? एक तरफ शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की चर्चा हो रही है तो दूसरी तरफ भर्ती प्रक्रिया में भ्रष्टाचार और फर्जी शिक्षकों के नाम पर करोड़ों रुपए का वेतन हड़पने के मामले सामने आ रहे हैं। दरअसल, अब शिक्षक पद पर नियुक्ति के लिए फर्जी प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए जा रहे हैं। सवाल ये उठता है कि ऐसा शिक्षक विद्यार्थियों को क्या सिखाएगा?
ऐसे हो रहा घोटाला
नागपुर संभाग के 12 स्कूलों में 580 नियुक्तियां हो जाती हैं और स्कूल शिक्षा विभाग और मंत्रालय में बैठे अफसरों को इसकी जानकारी तक नहीं। अफसरों ने कुछ स्कूलों के प्रबंधन के साथ मिलीभगत करके फर्जी लॉगिन आईडी का उपयोग करके शिक्षकों और कर्मचारियों को पोर्टल पर पंजीकृत कर दिया। नियुक्ति की तारीखें पुरानी दिखाकर एरियर के नाम पर करोड़ों रुपए हजम कर लिए गए। शायद यह इसी तरह चलता रहता; मगर कुछ अफसरों ने इस घोटाले को देख लिया और इसमें भाग लेने से इनकार कर दिया। इस घोटाले में कुछ बड़े नेता भी शामिल हैं, अगर जांच होगी तो उनके नाम भी सामने आएंगे।
इसकी जानकारी होने पर पुणे शिक्षा निदेशालय ने 2019 से 2025 के बीच 304 स्कूलों में नियुक्त शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया पर रिपोर्ट मांगी है। नियुक्ति के लिए प्राप्त अनुमोदन के साथ ही नियुक्ति की तारीख और वेतन भुगतान की भी जानकारी मांगी गई है। इन विद्यालयों ने 1056 नियुक्तियों की सूची भेजी; मगर कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी गई। नियुक्तियां बाद में की गईं, वेतन पहले की तारीख से लिया जा रहा था; इसके पीछे यही कारण है। इस घोटाले में शामिल नागपुर शिक्षा विभाग के अधिकारी नीलेश वाघमारे को निलंबित कर दिया गया है। विभाग में उनका बहुत प्रभाव था। वह मंत्रालय में अपने चाचा होने का दिखावा करता था। क्या अब हमें पता चलेगा कि यह चाचा कौन है? गिरफ्तार किये गये एक अन्य अधिकारी नीलेश मेश्राम स्वयं तीन स्कूलों के मालिक हैं। अगर जांच कराई जाए तो ऐसी कई बातें सामने आएंगी।