अच्छी सैलरी और पद के बावजूद हजारों युवा छोड़ रहे हैं नौकरी, वजह सिर्फ एक
जापान (Japan) एक ऐसा देश है जो अपनी मेहनत लगन वफादारी और ईमानदारी के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। छोटे से लेकर बड़े तक हर कोई अपने काम के प्रति समर्पित है। वे जहां भी काम करते हैं उनकी नीति पहले काम और फिर खुद की देखभाल की होती है। हालांकि हाल के दिनों में यह व्यवस्था अचानक बदल गई है। खास तौर पर ‘जेन एक्स’ पीढ़ी में।
आमतौर पर 1995 से 2012 के बीच पैदा हुई पीढ़ी को ‘जेन एक्स’ ( Gen X) या ज़ूमर्स की पीढ़ी कहा जाता है। इस युवा पीढ़ी को अब किसी का बोझ नहीं चाहिए किसी की वफ़ादारी नहीं चाहिए किसी के लिए काम करने की ज़रूरत नहीं है। काम में ‘पैसा’ भी उनका लक्ष्य नहीं है। उन्हें कोई पद नहीं चाहिए कोई पदोन्नति नहीं चाहिए कोई प्रतिष्ठा नहीं चाहिए वे एक-एक करके बड़े पद पर नहीं जाना चाहते। उन्हें ‘प्रदर्शन-आधारित पदोन्नति और बोनस’ ( Performance-based promotion) नहीं चाहिए उन्हें अपने वरिष्ठों से अच्छा काम करने के लिए पीठ थपथपाना नहीं चाहिए। उन्हें भागदौड़ करके ‘उज्ज्वल भविष्य’ नहीं चाहिए।
नौकरी छोड़ने की वजह क्या
असल में उन्हें अपने लिए जीना है। वे वही करना चाहते हैं जो उन्हें करना है जिससे उन्हें खुशी मिले। इसके लिए वे अपनी नौकरी पैसे और झूठी प्रतिष्ठा को भी त्यागने को तैयार हैं और यही वे अभी कर रहे हैं।
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ये पीढ़ी ( Gen X) कह रही है कि हम वह नहीं करना चाहते जो हमारे माता-पिता ने किया। हम उनकी तरह अपनी ज़िंदगी बर्बाद नहीं करना चाहते। यही वजह है कि जापान में सचमुच हज़ारों युवा कम समय में अपनी नौकरी छोड़ रहे हैं। जो लोग ‘अथक’ काम कर रहे हैं वे जल्द से जल्द वहाँ से निकल जाना चाहते हैं। यही वजह है कि उन्होंने अब एक नया नियम बना लिया है कि समय पर काम पर आएँ और सही समय पर जाएँ।
जापान में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। उन्होंने अपने निजी जीवन से ज़्यादा अपने काम को महत्व दिया है। हालाँकि नई पीढ़ी में यह तस्वीर अब पूरी तरह से उलट गई है। जापान में इस समय जो अवधारणा बढ़ रही है उसका नाम है ‘चुपचाप नौकरी छोड़ना’ (job attrition) ! इसका मतलब है बिना किसी शिकायत के चुपचाप अपनी नौकरी छोड़ देना। दरअसल इस अवधारणा की शुरुआत 2022 में अमेरिका में हुई थी। इस अभिव्यक्ति का इस्तेमाल उन लोगों के लिए किया जाता था जिन्होंने खुद को काम से दूर रखा है और जो कम से कम काम करते हैं; मगर यही अभिव्यक्ति अब जापान में ‘जेन एक्स’ पीढ़ी के लिए इस्तेमाल की जाती है।
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जापान में एक शोध संस्थान द्वारा हाल ही में किए गए एक शोध से पता चला है कि इस पीढ़ी के 45 फीसद नौ युवक केवल उतना ही काम कर रहे हैं जितना ज़रूरी है। वे समय आते ही अपनी नौकरी छोड़ (to leave the employment) रहे हैं और उस वक्त को अपने आनंद के लिए बिता रहे हैं। इन युवाओं का कहना है कि हम काम पर गुस्सा या ऊब नहीं रहे हैं। हम जानते हैं कि अगर हम काम करेंगे तभी हम किराया और दूसरे बिल चुका पाएंगे; मगर हम यह भी जानते हैं कि यह जीवन एक बार ही मिलता है। इसलिए हम इसे पूरी तरह से जीना चाहते हैं!