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प्रयाग महाकुंभ 2025 का आर्थिक महत्व- एक अध्ययन

प्रो. नंदिता

विभागाध्यक्ष (अर्थशास्त्र विभाग) इलाहाबाद डिग्री कॉलेज संघटक पी.जी. महाविद्यालय,

इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रयागराज

प्रयागराज  (Prayagraj) एक नगर मात्र नहीं, बल्कि भारतीय आध्यात्मिक संस्कृत चेतना का स्पंदन है, भारतीय आस्था, तप और पुण्य का अनमोल केंद्र है। यहां पुण्य सलिला मकर वाहिनी गंगा, कर्म वाहिनी यमुना और हंसरुढ़ सरस्वती का पावन संगम है, जिसके दर्शन मात्र से जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश हो जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार परमपिता ब्रह्मा जी ने सृष्टि रचना के लिए इस भूमि पर एक यज्ञ किया था।

प्रयागराज की भूमि अनेक ऋषि-मुनियों, साधु-संतो, सन्यासियों, तपस्वियों-मनीषियों की तपस्थली रही है। आदि शंकराचार्य की दिग्विजय यात्रा का केंद्र बिंदु प्रयाग ही रहा है। कुमारिल भट्ट से उपदेश प्राप्त कर शंकर ने अपनी दिग्विजय यात्रा प्रारंभ की थी और आचार्य मण्डन मिश्र को पराजित किया था। यहां के संगम में ऐसी ऊर्जा तथा शक्ति है, जो समाज के प्रत्येक वर्ग को अपनी ओर आकर्षित करती है। देश को अनेकता में एकता का संदेश देती है।

अमृत प्राप्त की कामना से कुंभ पर्व

महाकाव्य और पौराणिक कथाओं की मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन के पश्चात निकले अमृत कलश को लेकर अमृत कलश को प्राप्त करने के लिए देवताओं और दैत्यों के बीच युद्ध छिड़ गया, क्योंकि उसे पीकर दोनों अमरत्व की प्राप्ति करना चाह रहे थे, दोनों के बीच मची उथल-पुथल से अमृत कुंभ से चार बूंदें छलक गई। यह चार स्थानों पर गिरी इनमें एक गंगा तट हरिद्वार में, दूसरी त्रिवेणी संगम प्रयाग में, तीसरी शिप्रा तट उज्जैन में और चौथी गोदावरी तट नासिक में, इस प्रकार इन चारों स्थान पर अमृत प्राप्त की कामना से कुंभ पर्व मनाया जाने लगा।

आर्थिक महत्व (Economic Importance):

अर्थव्यवस्था पर महाकुंभ से लाभ निर्विवाद है क्योंकि प्रत्येक कुंभ मेला राष्ट्रीय, राज्य एवं स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित और बढ़ावा देता है। 2025 में प्रयाग में आयोजित महाकुंभ लगभग 45 करोड़ तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों को अपने ओर आकर्षित करेगा, जिससे पर्याप्त आर्थिक गतिविधियां उत्पन्न होगी। महाकुंभ जैसे आयोजन न केवल धार्मिक महत्व रखते हैं बल्कि आर्थिक विकास रोजगार स्तर और पर्यटक को भी बढ़ावा देने के साथ-साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी आर्थिक रूप से प्रभावित करते हैं। अर्थव्यवस्था के संगठित एवं असंगठित दोनों क्षेत्र लाभान्वित होता है।

कूड़ा बिनने वाले से लेकर कचौड़ी, फूल, चाय स्ट्रीट फूड, फल बेचने वाले नाव चलाने वाले से लेकर लग्जरी टेंट, लग्जरी होटल के मालिक, यातायात, पयर्टन, महशुर फूडकोर्ट सभी शामिल होते हैं। इस महाकुंभ से 25000 करोड रुपए के टर्नओवर की उम्मीद है एक अनुमान के आधार पर इसमें पूजा सामग्री 5000 करोड़, डेरी उत्पादन से 4000 करोड़ फूलों से फूल 800 करोड़, हॉस्पिटेलटी सेक्टर खास तौर से लग्जरी होटल से 6000 करोड रुपए का कारोबार होने की उम्मीद है।

समग्र रूप से देखा जाए तो कुंभ मेले में होने वाला आर्थिक लाभ निम्न रूप से परिलक्षित होता है –

  • पर्यटन उद्योग (Tourism Industry) को बढ़ावा मिलता है।
  • रोजगार (के अवसर बढ़ता है।
  • होटल, रेस्टोरेंट, परिवहन सेवाओं और टूर प्रदाताओं को फायदा होता है।
  • टेंट बुकिंग जैसी सेवाओं की मांग बढ़ती है।
  • हवाई यात्रा, रेल और सड़क परिवहन बुकिंग में बढ़ोतरी होती है।
  • सुरक्षा, निर्माण, स्वास्थ्य सेवाओं और इन्वेंट मैनेजमेंट में नौकरियां पैदा होती है।
  • स्थानीय समुदायों को फायदा होता है।
  • छोटे व्यवसाय और कारीगरों को अपने उत्पाद बेचने का मौका मिलता है।
  • स्थानीय व्यापार को बढ़ावा मिलता है।
  • बुनियादी ढांचे में सुधार होता है।
  • क्षेत्रीय हस्तशिल्प कला और व्यंजनों को बढ़ावा मिलता है।
  • कुंभ मेले से जुड़ी आर्थिक गतिविधियों से कई लोगों जो स्थानीय हैं, उन्हें भरपूर लाभ मिलता है और उनके आर्थिक स्थिति और मजबूत होती है।

पर्यटन, यातायात एवं रोजगार अवसरों में वृद्धि :

महाकुंभ के दौरान कुंभ मेले में ठहरने की जगह की मांग बढ़ जाती है क्योंकि लाखों लोग इन तीर्थ स्थलों पर जाते हैं। इस वृद्धि से होटल, रेस्टोरेंट परिवहन सेवाएं और टूर प्रदाता लाभान्वित होते हैं। कुंभ मेला में टेंट बुकिंग जैसी सेवाओं की भी उच्च मांग देखी जाती है जो आगंतुकों को उत्त्सव स्थल के पास सुविधाजनक और आरामदायक ठहरने की विकल्प प्रदान करती हैं।

पर्यटन उद्योग में हवाई यात्रा, रेल और सड़क परिवहन बुकिंग में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जाती है जिससे इन क्षेत्र में राजस्व में अप्रत्याशित वृद्धि होती है इसके अतिरिक्त महाकुंभ से सुरक्षा, निर्माण, स्वास्थ्य सेवाओं में वृद्धि देखी जाती है जिससे इन क्षेत्र में राजस्व में अप्रत्याशित वृद्धि होती है साथ ही कई अस्थाई और स्थाई नौकरियों का सृजन करता है जिससे क्षेत्र में बेरोजगारी कम होती है।

स्थानीय समुदायों को भी लाभ होता है क्योंकि छोटे व्यवसायों और कारीगरों को अपने उत्पाद बेचने का एक शानदार अवसर मिलता है। तीर्थ यात्री बड़ी मात्रा में भोजन, धार्मिक वस्तुएं कपड़े और स्मृति चिन्ह खरीदतें हैं जिससे स्थानीय व्यापार को बढ़ावा मिलता है। यह वृद्धि न केवल व्यक्तिगत विक्रेताओं का समर्थन करती है बल्कि क्षेत्रीय हस्तशिल्प, कला और व्यंजनों के लिए बाजार बनाकर स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी ऊपर उठाती है।

बुनियादी ढांचे का विकास और राजस्व सृजन :

महाकुंभ 2025 जैसे बड़े आयोजनों से मेजबान शहरों में और उसके आसपास बुनियादी ढांचे में अपार सुधार होता है सड़के, स्वास्थ्य सुविधाएं स्वच्छता बिजली और जल आपूर्ति प्रणाली सभी का विकास किया जाता है जिसे स्थानीय निवासियों और भावी पर्यटकों के लिए जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है। प्रयाग जैसे मेजबान शहर के बुनियादी ढांचे और विकास पर सकारात्मक स्थाई प्रभाव छोड़ते हैं।

सरकार की राजस्व में पर्यटन, पार्किंग, टिकट और स्टॉल किराए जैसे शुल्कों में वृद्धि देखी जाती है जो केंद्र सरकार, राज्य और स्थानीय सरकार को आय का स्रोत होता है। अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के आगमन से विदेशी मुद्रा में वृद्धि होती है जिससे राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को बल मिलता है प्रयाग का पूरा शहर बुनियादी ढांचे विकसित और मजबूत हो गया है और प्रयाग के स्थानीय अर्थव्यवस्था में मजबूती आई है।

महाकुंभ 2025 के आर्थिक महत्व का कुछ अनुमान :

13 जनवरी से शुरू होने वाले इस मेले में अनुमानित 45 करोड़ श्रद्धालु गंगा किनारे पहुंचेंगे । ऐतिहासिक रूप से कुंभ मेला हमेशा से आस्था और वाणिज्य का संगम रहा है। इस बार योगी आदित्यनाथ की सरकार ने 6990 करोड़ रुपए का बजट रखा है जिससे मेला स्थल पर बुनियादी ढांचे और सुविधाओं में व्यापक सुधार हुआ है इस मेले ने व्यवसायों, निवेशकों और कंपनियों को आकर्षित कर राज्य की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डाला है।

महाकुंभमेला के पीछे एक बड़ी आर्थिक शक्ति छिपी हुई है, सरकार 6990 करोड रुपए के बजट में 549 परियोजनाएं शुरू की है जो मेला स्थल के बुनियादी ढांचे से लेकर स्वच्छता तक के विकास को कवर करती है। 2019 के कुंभ से तुलना करें तो उस समय 3700 करोड रुपए में 700 परियोजनाएं थी। अधिकारियों का अनुमान है कि इस मेले से 25000 करोड़ रुपए का राजस्व मिलेगा और इसका राज्य की अर्थव्यवस्था पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा।

स्थानीय अर्थव्यवस्था पर असर

एक अनुमान के अनुसार हमें कुंभ मेले में स्टाल लगाने वाले से आय के रूप में एक से दो करोड रुपए प्राप्त हो जाएंगे और इसका बहुत बड़ा असर स्थानीय अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। क्षेत्रीय पर्यटन विभाग के अनुसार होटल इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के लिए काफी काम किए गए हैं, लोगों को डिजिटल पेमेंट की ट्रेनिंग दी है, यह फूड और हॉस्पिटैलिटी अर्थव्यवस्था को चलाने वाले सबसे मजबूत फैक्टर में से एक है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ मेले के क्षेत्र में 1.6 लाख टेंट लगाए हैं इसमें से 2200 लग्जरी टेंट है। इसके अलावा पूरे शहर में 218 होटल, 204 गेस्ट हाउस और 95 धर्मशालाएं भी हैं। सुपर डीलक्स टेंट और विला में एक दिन के लिए रुकने की कीमत 18 से 20 हजार रुपए प्रतिदिन है। जबकि प्रीमियम आवास में एक रात और दो मेहमानों को रुकने के लिए 30 से 40 हजार रुपए देने होंगे इनमें बाथरूम हीटिंग, और दूसरी शानदार सुविधाएं मौजूद हैं। नदी के किनारे पर लगे टेंट के अलावा मेला स्थल के पास होटल भी है। यहां एक रात रुकने के लिए 10 से 25 हजार रुपए तक का शुल्क देना होगा, इन्हें पिछले 9 महीना में तैयार किया गया है।

एक होटल के मालिक बताते हैं कि पूरे महीने के लिए उनका होटल 80% तक बुक हो चुका है। इसके अलावा इस इलाके में कई प्राइवेट होमस्टे भी तेज रफ्तार से खुल रहे हैं। संगम के इलाके में अपना होम स्टे चलने वाले कई लोगों ने काफी पैसा खर्च किया है उन्हें उम्मीद है की जितना वह खर्च किए हैं उसे तीन से चार गुना उन्हें इससे मुनाफा हो जाएगा।

महाकुंभ “एक सुनहरा अवसर “

इस मेले में लग्जरी टेंट से लेकर कचौड़ी की दुकान आकर्षक कॉरपोरेट, पूजा बाजार, छोटे व्यापारियों के लिए अपने कोरबार को बढ़ाने का एक मौका है। यहां तक की गंगा के नाविक भी इस आयोजन से अपनी आजीविका की उम्मीद लगाए हुए हैं और उन्हें उम्मीद है कि इस महाकुंभ में इन्हें अपार आय में वृद्धि होगी और उनकी आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत होगी।

उत्तर प्रदेश सरकार ने आवास, खाने पीने की सुविधाओं में सुधार किया है अब तक 1000 गाइड 7000 विक्रेताओं और 100 होम स्टे पंजीकृत हो चुके हैं। यहां तक की प्रमुख ब्रांड ने भी अपनी सेवाएं देने के लिए मेले में निवेश किया है। फूड और हॉस्पिटैलिटी के लिए कई कंपनियों ने इस मेले में निवेश किया है। इसमें प्रमुख खाद्य ब्रांड भी शामिल हैं उनके पास स्टारबक्स कोका-कोला डोमिनोज जैसे इंटरनेशनल ब्रांड की प्रस्ताव आ चुके हैं।

लोगों का कहना है कि महाकुंभ “एक सुनहरा अवसर ” है और इसमें दो महीने में 1 साल के कारोबार के बराबर राजस्व मिल जाएगा। स्नान के दिनों में मुनाफा सामान्य दिनों से 10 गुना ज्यादा होता है।

निष्कर्ष :

सनातन धर्म में प्रत्येक आध्यात्मिक या धार्मिक गतिविधि का मानव और सामाजिक उत्थान से एक मजबूत संबंध है, जो सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देता है और साथ ही हमें यह भी याद दिलाता है कि सनातन धर्म जातिगत भेदभाव में विश्वास नहीं करता है, जिससे लाखों लोगों को आर्थिक रूप से बढ़ावा मिलता है। महाकुंभ मेला 2025 में न केवल आध्यात्मिक जीवन को समृद्ध करने की क्षमता है, बल्कि उत्तर प्रदेश में दीर्घकालिक आर्थिक विकास को भी गति देने की क्षमता है।

अपने विशाल आकार और इससे पैदा होने वाली नौकरियों के साथ, इस आयोजन का उद्देश्य एक स्थायी विरासत छोड़ना है, जो राज्य को वैश्विक आर्थिक केंद्र में बदल देगा। इस आयोजन का आर्थिक प्रभाव न केवल तात्कालिक है, बल्कि यह कई वर्षों तक क्षेत्र में पर्यटन, बुनियादी ढांचे और रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करता रहेगा।

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