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नमामि गंगे से स्मार्ट सड़कें तक, वाराणसी में हर स्तर पर हो रहा बदलाव

यूपी का सांस्कृतिक और धार्मिक केंद्र वाराणसी अब स्मार्ट सिटी मिशन के तहत आधुनिकता की नई मिसाल बनने जा रहा है। नगर निगम द्वारा छह प्रमुख सड़कों को ‘मॉडल रोड’ के रूप में बनाने की योजना इस बात का प्रतीक है कि कैसे ऐतिहासिक शहरों में भी भविष्य की सोच के साथ बुनियादी ढांचे का विस्तार किया जा सकता है।

बदलती सड़कों की तस्वीर

नगर निगम ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए 47.84 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है। पहले चरण में लगभग 16-17 करोड़ रुपये की लागत से काम शुरू होगा, जबकि शेष राशि दूसरे चरण के लिए आरक्षित रहेगी। ये सड़कें सीएम ग्रीन रोड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट स्कीम (CM GRID योजना) के तहत बनायी जाएंगी, जिसमें फुटपाथ, वेंडिंग ज़ोन, स्ट्रीट लाइटिंग, लैंडस्केपिंग और मल्टी-यूटिलिटी ज़ोन जैसी सुविधाएं शामिल होंगी।

यह योजना केवल बनारस तक सीमित नहीं है प्रदेश के 16 शहरों, जिनमें झांसी, प्रयागराज, लखनऊ और मेरठ जैसे प्रमुख नगर शामिल हैं, वहां भी इसी योजना के तहत काम चल रहा है।

सड़क निर्माण की नई सोच

इन मॉडल सड़कों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इन्हें इंटरनेशनल स्टैंडर्ड्स के मुताबिक बनाया जाएगा।

प्रमुख खूबियां क्या

  • अंडरग्राउंड यूटिलिटी सिस्टम: पानी की पाइप, बिजली की लाइनें और इंटरनेट केबल सभी भूमिगत होंगे।
  • स्मार्ट ड्रेनेज: भूमिगत नाली निर्माण से जलभराव की समस्या खत्म होगी।
  • 7% प्रतिबंधित प्लास्टिक का उपयोग: सड़कों को वेस्ट मटेरियल से बनाकर उन्हें इको-फ्रेंडली बनाया जाएगा।
  • हरित सौंदर्यकरण: सड़क किनारे पौधरोपण और ग्रीन ज़ोन बनाए जाएंगे।
  • इस तरह की तकनीक विदेशों में पहले से इस्तेमाल हो रही है, और बनारस में इसका समावेश शहर के टिकाऊ विकास की ओर एक मजबूत कदम है।

क्या क्या सुविधा मिलेगी

बढ़ते ट्रैफिक और वाहन संख्‍या को देखते हुए वाराणसी विकास प्राधिकरण (VDA) ने गंजारी में निर्माणाधीन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के पास 10,000 वाहनों की क्षमता वाली मल्टीलेवल पार्किंग की योजना बनाई है। अनुमान है कि स्टेडियम में किसी भी बड़े आयोजन के दौरान लगभग 12,000 लोग निजी वाहनों से पहुंचेंगे। ऐसे में यह पार्किंग सुविधा बेहद जरूरी होगी। इस समय शहर में चार मल्टीस्टोरी पार्किंग पहले से मौजूद हैं, लेकिन नए स्टेडियम की भीड़ को देखते हुए यह पार्किंग विशेष रूप से सहायक साबित होगी।

योजना को आर्थिक मजबूती देने के लिए वाराणसी नगर निगम भी म्युनिसिपल बॉन्ड जारी करने की तैयारी में है। इस समय यूपी के चार शहरों (लखनऊ, गाजियाबाद, आगरा और प्रयागराज) के म्युनिसिपल बॉन्ड लिस्टेड हैं। अब वाराणसी के जुड़ने से उत्तर प्रदेश इस क्षेत्र में महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों को पीछे छोड़ देगा, जो अब तक अग्रणी माने जाते थे।

म्युनिसिपल बॉन्ड से प्राप्त राशि का इस्तेमाल न केवल सड़क निर्माण, बल्कि जलापूर्ति, सीवरेज, स्ट्रीट लाइटिंग और अन्य बुनियादी ढांचे के विकास में किया जाएगा — यानी हर पहलू में सुधार।

गंगा और हरित विकास: एसटीपी की छलांग

‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम और JNNURM के अंतर्गत वाराणसी में अब तक कुल 420 MLD क्षमता के STP (Sewage Treatment Plants) बनाए जा चुके हैं। 2017 तक यह क्षमता केवल 100 MLD थी। यह बताता है कि स्वच्छता और जल-प्रबंधन में शहर ने कितनी तेज़ी से प्रगति की है।

 

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