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ग्राम पंचायतें ज्यों की त्यों रहेंगी, परिसीमन में कोई बड़ा फेरबदल नहीं

गोरखपुर जिले की पंचायत व्यवस्था (panchayat system) में इस बार कोई बड़ा बदलाव नहीं होने जा रहा है। जिले की ग्रामीण गलियों और छोटे-छोटे गांवों की तर्ज पर बसी ग्राम पंचायतों (Gram Panchayat) की सीटें वैसे ही रहेंगी, जैसे वे सालों से स्थिर थीं किसी भी तरह की हलचल या बदलाव की गुंजाइश इस बार नहीं है। जिला प्रशासन ने परिसीमन (Panchayat Delimitation) संबंधी रिपोर्ट सरकार को ‘जीरो’ भेज दी है यानी इस इलाके की 1,275 पंचायत सीटें ज्यों की त्यों बरकरार रहेंगी। अब सबकी निगाहें शासन के फैसले पर टिकी हैं जो इस सूचना को लेकर आगे की कार्यवाही तय करेगा।

शासन ने पूरे राज्य के जिलों से पंचायत परिसीमन (panchayat delimitation) की व्यापक जानकारी मांगी थी, खास कर उन पंचायतों को शामिल करने के निर्देश दिए थे जो निकाय विस्तार के कारण प्रभावित हुई थीं। उपनिदेशक पंचायत हिमांशु शेखर ठाकुर ने बताया कि 2022 में जब निकाय क्षेत्र का विस्तार हुआ था, तब गोरखपुर की 21 पंचायतें प्रशासनिक नक्शे से मिटा दी गई थीं। उस वक्त ही पंचायतों का परिसीमन कर दिया गया था ताकि नए विस्तार से जुड़ी सभी व्यवस्थाएं सुव्यवस्थित हो सकें।

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अब उस बदलाव के बाद शहर में बचे हुए 1,275 पंचायतों की स्थिति स्थिर बनी हुई है। ये आंकड़ा एक तरह से गोरखपुर की ग्रामीण जनता की सांझी पहचान और स्थानीय शासन की धड़कन को दर्शाता है। इस रिपोर्ट को शासन को सौंप दिया गया है, जहां पर अब अंतिम निर्णय होना बाकी है। उस निर्णय के साथ ही ग्राम पंचायतों (Gram Panchayat) के भविष्य की दिशा तय होगी, जो जिले के अनगिनत ग्रामीण जीवन को प्रत्यक्ष प्रभावित करेगा।

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गोरखपुर की मिट्टी में जमींन से जुड़ी इन पंचायतों की भूमिका केवल प्रशासनिक नहीं बल्कि लोगों की आशाओं, संघर्षों और सामूहिक विकास की कहानियों से भरी हुई है। इसलिए ये परिसीमन सिर्फ संख्याओं का खेल नहीं बल्कि ग्रामीण भारत की एक संवेदनशील और जीवंत तस्वीर का प्रतिबिंब है, जो अब शासन के अगले कदम का इंतजार कर रही है।

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