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FD से ज्यादा रिटर्न और रिस्क भी कम, पैसा छापने की मशीन है ये म्यूचुअल फंड

फिक्स्ड डिपॉजिट यानी FD पिछले कुछ सालों से हम भारतीयों के लिए सबसे भरोसेमंद (Best Investment Options India) और पसंदीदा निवेश विकल्प रहा है। लोग इसे ‘गारंटीड रिटर्न’ और ‘जीरो रिस्क’ की वजह से बहुत पसंद करते हैं। मगर आज कई नए निवेश विकल्प हैं जो FD जितनी ही सुरक्षा के साथ अच्छा रिटर्न देने की क्षमता रखते हैं।

अगर आप भी अपना पैसा 2 से 3 साल के लिए निवेश करना चाहते हैं और FD से थोड़ा ज़्यादा कमाने के लिए थोड़ा जोखिम उठाने को तैयार हैं, तो आपको डेब्ट फंड (Low Risk Mutual Funds) के बारे में जानना होगा। इन्हें म्यूचुअल फंड की दुनिया का ‘सेफ जोन’ माना जाता है। आइए समझते हैं कि ये क्या हैं, ये कैसे काम करते हैं और FD की तुलना में ये आपके लिए कितने फायदेमंद हो सकते हैं।

डेब्ट फंड एक तरह का म्यूचुअल फंड है। जब आप इसमें निवेश (Best Investment Options India) करते हैं, तो आपका पैसा शेयर बाजार की तरह कंपनियों के शेयरों में नहीं, बल्कि सरकारी बॉन्ड, कॉरपोरेट बॉन्ड, ट्रेजरी बिल, नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर (एनसीडी) जैसी फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज में निवेश होता है।

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चूंकि ये (Debt Mutual Fund India) पैसा सरकार या स्थापित कंपनियों को दिया जाता है, इसलिए इसके दिवालिया होने का जोखिम लगभग नगण्य होता है। यही वजह है कि डेब्ट फंड को इक्विटी म्यूचुअल फंड से ज्यादा सुरक्षित माना जाता है।

जानें कितना मिलता है रिटर्न

आमतौर पर बैंक आपको 1 से 3 साल की एफडी पर 6% से 7.5% सालाना तक का ब्याज देते हैं। यह रिटर्न लगभग निश्चित और सुनिश्चित होता है। डेब्ट फंड का रिटर्न बाजार से जुड़ा होता है और इसकी गारंटी नहीं होती। हालांकि, अगर पिछले रिकॉर्ड देखें, तो अच्छे डेब्ट फंड ने 8 से 9 प्रतिशत या उससे भी ज्यादा रिटर्न दिया है। अगर आप 2-3 साल के लिए निवेश करते हैं तो 1-2% का यह अतिरिक्त रिटर्न भी आपके मुनाफे में बड़ा अंतर ला सकता है।

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टैक्स की बात करें तो डेब्ट फंड से होने वाले मुनाफे पर टैक्स का प्रावधान है। डेब्ट म्यूचुअल फंड से होने वाले पूरे मुनाफे पर इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप फंड अप्रैल 2023 से पहले खरीदते हैं या उसके बाद। अगर आप अप्रैल 2023 से पहले फंड खरीदते हैं तो आप पर पुराने नियमों के हिसाब से टैक्स लगेगा। अगर आप अप्रैल 2023 या उसके बाद फंड खरीदते हैं तो आपके मुनाफे पर नए इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा।

तीन साल से कम अवधि के कैपिटल गेन्स (STCG) पर निवेशक की आय पर स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है। तीन साल से अधिक समय तक होल्डिंग पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) पर इंडेक्सेशन बेनिफिट सहित 20% टैक्स लगता है। एफडी की बात करें तो एफडी पर मिलने वाला ब्याज भी आपकी कुल आय में जुड़ता है और आपको इस पर अपने आयकर स्लैब के अनुसार टैक्स देना होता है। वहीं, 5 साल की एफडी टैक्स-फ्री होती है।

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