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Mutual Funds में निवेश कर रहे हैं सिर्फ रिटर्न न देखें, ये 8 चीजें चेक करें, नहीं तो पैसा बर्बाद हो जाएगा

म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) इन दिनों निवेश (Investments) करने का एक बहुत ही लोकप्रिय और आसान तरीका बन गया है। इससे छोटे निवेशकों (Small Investors) को भी प्रोफेशनल मैनेजमेंट (Professional Management) और कई निवेश विकल्पों तक पहुंच मिलती है। मगर अक्सर लोग पिछले रिटर्न (Past Returns) को देखकर ही फंड चुनते हैं और यहीं पर बड़ी गलती हो जाती है। अगर आप अपने निवेश से अच्छा रिटर्न (Fund Performance) पाना चाहते हैं और जोखिम (Risk Management) कम करना चाहते हैं, तो सिर्फ रिटर्न देखने से काम नहीं चलेगा, आपको कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना होगा।

अगर आप नीचे दी गई 8 बातों पर ध्यान देंगे, तो आप अपने लिए सही फंड (Right Mutual Funds) चुन सकते हैं और भविष्य में होने वाले नुकसान से बच सकते हैं।

1. अपने वित्तीय लक्ष्य (Financial Goals) तय करें

आप क्यों निवेश (Investments) कर रहे हैं? घर खरीदने के लिए, बच्चों की शिक्षा के लिए, रिटायरमेंट के लिए या सिर्फ पैसे बढ़ाने के लिए? एक बार जब आपके लक्ष्य स्पष्ट हो जाएंगे, तो यह तय करना आसान हो जाएगा कि कौन सा फंड (Mutual Funds) आपके लिए सही है। उदाहरण के लिए, इक्विटी फंड (Equity Funds) लंबी अवधि के लक्ष्यों के लिए अच्छे हैं और डेट फंड (Debt Funds) अगर रिटायरमेंट करीब है तो अच्छे हैं।

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2. म्यूचुअल फंड की श्रेणियों (Mutual Fund Categories) को समझें

म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) कई तरह के होते हैं, जैसे इक्विटी, डेट, हाइब्रिड (Hybrid Funds), इंडेक्स फंड (Index Funds) आदि। हर तरह की अलग-अलग विशेषताएँ होती हैं। यह समझना ज़रूरी है कि आप किस तरह के फंड (Right Mutual Funds) में निवेश (Investments) कर रहे हैं और क्या यह आपकी ज़रूरतों के हिसाब से सही है।

3. पिछला प्रदर्शन (Past Returns) देखें

किसी फंड (Mutual Funds) ने अतीत में कितना रिटर्न (Fund Performance) दिया है, यह भविष्य की गारंटी नहीं देता। हालाँकि, इससे यह पता चलता है कि फंड (Mutual Funds) ने अलग-अलग बाज़ार स्थितियों में कैसा प्रदर्शन (Fund Performance) किया है। 3, 5 और 7 साल के रिटर्न की तुलना मार्केट बेंचमार्क (Market Benchmarks) और दूसरे फंड से करें।
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4. फंड के पोर्टफोलियो (Fund Portfolio) की जाँच करें

ये देखना ज़रूरी है कि फंड मैनेजर (Fund Managers) आपके पैसे किन कंपनियों में लगा रहा है। लार्ज-कैप कंपनियों में निवेश (Investments) करने वाले फंड (Mutual Funds) ज़्यादा सुरक्षित होते हैं, जबकि स्मॉल-कैप कंपनियों में ज़्यादा जोखिम (Risk Management) होता है।

5. फंड मैनेजर का अनुभव (Fund Managers)

फंड मैनेजर (Fund Managers) की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। उसका अनुभव और विशेषज्ञता यह तय करेगी कि वह आपके पैसे का ठीक से ख्याल रखेगा या नहीं। इसलिए, फंड मैनेजर (Fund Managers) का पिछला रिकॉर्ड चेक करें।

6. निवेश व्यय (Expense Ratios)

‘एक्सपेंस रेशियो’ (Expense Ratios) का मतलब है फंड मैनेजमेंट के लिए किया गया खर्च। अगर यह खर्च ज्यादा है, तो यह आपकी आय को प्रभावित करता है। डायरेक्ट प्लान (Direct Plans) में यह खर्च कम होता है।

7. एग्जिट लोड और लॉक-इन पीरियड (Exit Load, Lock-in Period)

कुछ फंड (Mutual Funds) एक निश्चित समय से पहले पैसे निकालने पर शुल्क लेते हैं। ELSS (ELSS Funds) जैसे फंड (Mutual Funds) में 3 साल का लॉक-इन पीरियड (Lock-in Period) होता है। निवेश (Investments) करने से पहले इन नियमों को चेक करें।

8. फंड हाउस की विश्वसनीयता की जांच करें (Fund House Credibility)

जिस कंपनी (AMC) का फंड (Mutual Funds) है, उसकी विश्वसनीयता और पिछले प्रदर्शन (Past Returns) की जांच करें। आप एक मजबूत और विश्वसनीय कंपनी (Fund House Credibility) पर ज्यादा भरोसा कर सकते हैं।

म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) में निवेश (Investments) करने से अच्छा रिटर्न (Fund Performance) मिल सकता है, मगर किसी भी फंड (Mutual Funds) को चुनने में जल्दबाजी न करें। अपनी ज़रूरतों और जोखिम उठाने की क्षमता (Risk Management) को ध्यान में रखते हुए सही निर्णय लें। ज़रूरत पड़ने पर किसी वित्तीय विशेषज्ञ (Investment Advice) से सलाह लें।

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