Panchayat Election में कांग्रेस-सपा की राहें जुदा, यूपी के दो लड़के नहीं लड़ेंगे साथ; आखिर क्यों
उत्तर प्रदेश की राजनीति (Uttar Pradesh Politics) अक्सर ऐसी पहेली बन जाती है, जिसे समझना आसान नहीं होता। यहां सियासी चालें कब किस दिशा में बदल जाएं, कोई नहीं जानता। हाल ही में सामने आई ताजा हलचल एक बार फिर इसी ओर इशारा कर रही है। जहां 2027 के विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2027) में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) मिलकर मैदान में उतरने की घोषणा कर चुकी हैं (Congress SP Alliance)। वहीं पंचायत चुनाव (Panchayat Election 2025) में कांग्रेस ने अकेले दम पर किस्मत आजमाने का फैसला लिया है (Congress Alone Election)।
कांग्रेस ने पंचायत चुनाव को लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं और संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करने में जुट गई है (Congress Organizational Preparation)। दिलचस्प बात यह है कि इस चुनाव (UP Local Body Election) में सपा और कांग्रेस के बीच किसी तरह का गठबंधन नहीं होगा। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की मानें तो रणनीति बनाने के लिए वार्ड स्तर पर बैठकों का सिलसिला तेज हो चुका है (UP Panchayat Election Strategy)।
कांग्रेस ने क्यों लिया अलग रास्ता
कुछ दिन पहले कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे (Avinash Pandey Congress) ने साफ कर दिया था कि पार्टी बिना किसी गठबंधन के पंचायत चुनाव लड़ेगी। उनका मानना है कि स्थानीय निकाय चुनावों में पार्टी को अपनी स्वतंत्र पहचान और संगठनात्मक क्षमता को दिखाने का मौका मिलना चाहिए। हालांकि, इस अलग राह पर जाने के फैसले को लेकर सपा और कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने अब तक कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है।
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विधानसभा चुनाव को लेकर अखिलेश का बयान
हाल ही में एक प्रेस वार्ता में सपा प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav Statement) ने दोहराया कि 2027 के विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2027) में कांग्रेस और सपा मिलकर उतरेंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ‘इंडिया गठबंधन’ (India Alliance UP) तब भी सक्रिय रहेगा। अखिलेश ने कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे अपने-अपने बूथों पर वोटर लिस्ट की जांच करें और जमीनी तैयारी अभी से शुरू कर दें।
2017 का अनुभव और 2024 की वापसी
याद दिला दें कि यह गठबंधन नया नहीं है। 2017 में भी कांग्रेस और सपा ने मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा था (Samajwadi Party Congress Alliance)। हालांकि परिणाम निराशाजनक रहे। सपा को महज 47 और कांग्रेस को सिर्फ 7 सीटें मिली थीं, वही बीजेपी ने भारी बहुमत के साथ 324 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी।
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लेकिन 2024 के लोकसभा चुनावों ने सियासी समीकरणों (UP Political Equation) को काफी हद तक बदल दिया। इंडिया गठबंधन को यूपी में अप्रत्याशित सफलता मिली सपा ने 37 और कांग्रेस ने 6 सीटें अपने नाम कर लीं, जिससे विपक्ष का मनोबल मजबूत हुआ है।
आगे की राह कैसी होगी
अब बड़ा सवाल यह है कि पंचायत चुनाव में कांग्रेस का यह ‘सोलो परफॉर्मेंस’ (Congress Alone Election) आगामी विधानसभा चुनावों में उसके लिए फायदेमंद साबित होगा या गठबंधन की एकता को झटका देगा? क्या यह रणनीति पार्टी को जमीनी मजबूती देगी या फिर एकता में दरार लाएगी यही विश्लेषण अब उत्तर प्रदेश की राजनीति (UP Political Analysis) की धुरी बनता जा रहा है।