भारत की GDP ने जापान और इंग्लैंड को भी छोड़ दिया पीछे, जानें आपको-हमें क्या फायदा होगा
भारत की अर्थव्यवस्था (indian economy) ने एक नया मुकाम हासिल कर लिया है। नीति आयोग की 10वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक के बाद आयोग के सीईओ बी.वी.आर. सुब्रमण्यम की टिप्पणी ने पूरे देश में उत्साह भर दिया। उनका कहना है कि भारत अब दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है — 4.187 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ। ये सिर्फ एक दावा नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की अप्रैल 2025 की वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट से पुष्टि प्राप्त तथ्य है।
भारत ने जापान को पीछे छोड़ दिया है जिसकी अनुमानित जीडीपी 4.186 ट्रिलियन डॉलर है। यह अंतर मामूली जरूर है मगर इसका असर गहरा है — वैश्विक स्तर पर भारत की हैसियत अब पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हो गई है।
आर्थिक विकास की सही दिशा में बढ़ रहा भारत (India is moving in the right direction of economic development)
नीति आयोग के सीईओ सुब्रमण्यम ने स्पष्ट शब्दों में कहा “यह मेरा डेटा नहीं है IMF ने कहा है। हम अमेरिका, चीन और जर्मनी के बाद दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं।” उनका यह बयान न केवल उत्साहित करता है बल्कि इस बात का प्रमाण भी है कि भारत आर्थिक विकास की सही दिशा में बढ़ रहा है।
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उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत के पास अगले 20–25 वर्षों तक जनसंख्या से मिलने वाला डेमोग्राफिक डिविडेंड है जिससे देश तीव्र गति से आगे बढ़ सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सभी राज्यों से अपने स्तर पर विज़न डॉक्यूमेंट तैयार करने का आग्रह किया है जिससे विकास की दिशा समग्र और समावेशी हो सके।
जापान की गिरावट लेकिन सीखने की ज़रूरत (Japan is in decline but lessons need to be learned)
जहां भारत तेजी से उभर रहा है वहीं जापान जैसे विकसित देश की अर्थव्यवस्था मंदी के दौर में है। IMF के अनुसार 2025 में जापान की जीडीपी ग्रोथ दर सिर्फ 0.3% रहने की संभावना है वहीं भारत की दर 6.5% अनुमानित की गई है।
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इसके पीछे प्रमुख कारण है- बुजुर्ग आबादी और कुशल मानव संसाधन की कमी। जापान का ये अनुभव भारत के लिए चेतावनी भी है और अवसर भी क्योंकि भारत की जनसंख्या युवा है और अगर इसे सही दिशा दी जाए तो देश आर्थिक रूप से और भी मजबूत हो सकता है।
भारत को इससे क्या फायदें होंगे (What benefits will India get from this)
भारत का वैश्विक मंच पर चौथे पायदान पर पहुंचना केवल सांख्यिकीय जीत नहीं है। इसके कई रणनीतिक राजनीतिक और सामाजिक फायदे भी हैं।
1. वैश्विक प्रभाव में वृद्धि
अब भारत का G-20, IMF, WTO जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रभाव और भी ज्यादा बढ़ेगा। भारत की आवाज पहले से अधिक गंभीरता से सुनी जाएगी। इस स्थिति का लाभ विकासशील देशों को प्रतिनिधित्व देने में भी होगा जहां भारत एक मजबूत प्रवक्ता बन सकता है।
2. भारत एक निवेश केंद्र के रूप में
जैसे-जैसे भारत की अर्थव्यवस्था बढ़ रही है वैसे-वैसे विदेशी निवेशकों की रुचि भी भारत में बढ़ रही है। बड़ी वैश्विक कंपनियां अब भारत को एक विशाल और संभावनाओं से भरपूर बाज़ार मान रही हैं। इसके परिणामस्वरूप प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है।
3. क्षेत्रीय स्थिरता में योगदान
भारत और जापान के बीच रणनीतिक साझेदारी और सैन्य सहयोग पहले से ही मजबूत हैं। मगर अब भारत की आर्थिक स्थिति में सुधार से यह साझेदारी और मजबूत होगी जिससे पूरे एशिया क्षेत्र में स्थिरता आ सकती है।
4. वैश्विक आर्थिक नेतृत्व का उदय
भारत अब केवल “उभरती हुई अर्थव्यवस्था” नहीं रह गया है बल्कि एक वैश्विक आर्थिक लीडर बन चुका है। यदि भारत 2028 तक जर्मनी से आगे निकल जाता है तो यह नेतृत्व और भी स्पष्ट हो जाएगा।
हमारे जीवन पर इसका क्या असर पड़ेगा
यह तो वैश्विक तस्वीर है। मगर आम आदमी के लिए ये क्या मायने रखता है। ये सवाल स्वाभाविक है और इसका उत्तर बहुत ही प्रासंगिक है।
1. रोजगार के नए अवसर
तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का सबसे पहला लाभ होता है — नौकरियां। जैसे-जैसे उद्योग और सेवा क्षेत्र में विकास होगा वैसे-वैसे युवाओं के लिए नौकरी के अवसर भी बढ़ेंगे। विशेष रूप से टेक्नोलॉजी मैन्युफैक्चरिंग और हेल्थकेयर जैसे क्षेत्रों में नई नौकरियों की भरमार होगी।
2. जीवन स्तर में सुधार
बढ़ता हुआ GDP और निवेश का प्रवाह देश में बुनियादी ढांचे स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा में सुधार लाएगा। इससे नागरिकों का जीवन स्तर बेहतर होगा और ग्रामीण क्षेत्रों में भी विकास की रोशनी पहुंचेगी।
3. उपभोक्ता शक्ति में वृद्धि
जब लोगों की आय बढ़ती है तो उनकी खर्च करने की क्षमता भी बढ़ती है। इसका सीधा लाभ FMCG ई-कॉमर्स रिटेल और सर्विस सेक्टर को मिलेगा। मध्यम वर्ग के विस्तार से देश में एक मजबूत घरेलू बाज़ार तैयार होगा।
दुनिया की 10 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं (2025 IMF आंकड़े अनुसार)
वर्ष 2024 के नवीनतम आँकड़ों के अनुसार विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की सूची में अमेरिका पहले स्थान पर है जिसकी GDP लगभग 30.507 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है। इसके बाद चीन का स्थान आता है जिसकी GDP 19.231 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँच गई है। जर्मनी 4.744 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के साथ तीसरे स्थान पर है वहीं भारत और जापान लगभग समान स्तर पर हैं – भारत की GDP 4.187 ट्रिलियन डॉलर और जापान की 4.186 ट्रिलियन डॉलर है।
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छठे स्थान पर इंग्लैंड है जिसकी GDP 3.839 ट्रिलियन डॉलर है इसके बाद फ्रांस (3.211 ट्रिलियन) इटली (2.422 ट्रिलियन) कनाडा (2.225 ट्रिलियन) और ब्राज़ील (2.125 ट्रिलियन) शीर्ष दस में शामिल हैं। यह सूची वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में इन देशों की ताकत और प्रभाव को दर्शाती है जहाँ अमेरिका और चीन स्पष्ट रूप से सबसे आगे हैं और भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्था तेजी से शीर्ष देशों की कतार में शामिल हो रही है।
भारत की यह आर्थिक सफलता एक मील का पत्थर है मगर यात्रा अभी बाकी है। चौथे स्थान पर पहुंचने का मतलब है कि भारत को अब अधिक जिम्मेदारी से और तेज़ी से आगे बढ़ना होगा।
अगर यही रफ्तार बनी रही तो वह दिन दूर नहीं जब भारत जर्मनी को भी पीछे छोड़कर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा और एक वैश्विक महाशक्ति के रूप में स्थापित हो जाएगा।