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काम की बात; दूध उबालकर पीना फायदेमंद है या कच्चा, जानें एक्सपर्ट की राय

Is it more beneficial to drink boiled milk or raw milk: जब सेहत की बात हो तो दूध की चर्चा अनिवार्य हो जाती है। भारतीय रसोई में दूध का स्थान सिर्फ एक पोषण स्रोत भर नहीं बल्कि एक परंपरा एक संस्कृति की पहचान है। चाहे सवेरे की चाय हो बच्चों का नाश्ता या बुजुर्गों की रात की नींद दूध हर उम्र हर वर्ग के जीवन का हिस्सा है। खासकर जब बात हड्डियों की मजबूती और कैल्शियम की होती है तो दूध को ‘सुपरफूड’ की कटेगरी में सबसे टॉप पर रखा जाता है।

मगर आज के दौर में जब प्योरिटी और सेहत को लेकर चिंताएं बढ़ी हैं एक सवाल बार-बार उठता है कि क्या पैकेट वाला दूध बिना उबाले पीना सुरक्षित है या इसे जरूर उबालना चाहिए। इस खबर में हम इसी मुद्दे को आयुर्वेदिक दृष्टिकोण, विज्ञान और आमजन की जिज्ञासा के बीच संतुलित तरीके से समझने की कोशिश करेंगे।

शरीर को क्यों चाहिए कैल्शियम

हमारी बॉडी को फिट और मजबूत बनाए रखने के लिए कई प्रकार के पोषक तत्वों की जरूरत होती है जैसे- प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स और सबसे महत्वपूर्ण कैल्शियम। ये मिनरल न केवल हड्डियों और दांतों को मजबूत करता है बल्कि मांसपेशियों की कार्य प्रणाली हार्मोन स्राव और नर्व सिस्टम के लिए भी अहम है।

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दूध खास कर गाय और भैंस का दूध कैल्शियम का सबसे अच्छा स्रोत है। यही कारण है कि भारत में दूध को ‘पूरा आहार’ कहा जाता है। एक गिलास दूध में लमसम 125 मिलीग्राम कैल्शियम होता है जो एक वयस्क की दैनिक जरूरत का बड़ा हिस्सा पूरा कर सकता है।

दूध के रूप बदलते गए और सवाल भी बदलते गए

पहले के दौर में लोग सीधे डेयरी से या अपने घर की गाय-भैंस से दूध हासिल करते थे। ताजगी और प्योरिटी की कोई कमी नहीं थी। मगर शहरी करण और बदलती जीवनशैली के साथ अब ज्यादातर लोग पैकेट वाले दूध पर निर्भर हो गए हैं।

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पैकेट वाला दूध आमतौर पर पाश्चराइज्ड होता है यानी उसे खास टेम्परेचर पर गर्म कर बैक्टीरिया को नष्ट किया जाता है और फिर ठंडा कर पैक किया जाता है। ये प्रोसेस दूध को लंबे समय तक सुरक्षित बनाए रखने में मदद करती है। मगर यहां से ही दुविधा शुरू होती है किक्या इस पाश्चराइजेशन के बाद दूध को उबालना जरूरी है।

एक्सपर्ट की राय जानें, उबालना या न उबालना (Is it more beneficial to drink boiled milk or raw milk?)

इस विषय में हमने बात की आयुर्वेद एक्सपर्ट किरण गुप्ता से जिनका मानना है कि चाहे दूध पाश्चराइज्ड हो या नहीं उसे हमेशा उबालकर ही पीना चाहिए।

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एक्सपर्ट के अनुसार पैकेट वाला दूध जब फैक्ट्री से निकलता है और जब तक वो आपके घर पहुंचे, इस प्रक्रिया में वक्त लगता है। इस बीच अगर उसे सही तापमान पर नहीं रखा गया तो उसमें बैक्टीरिया पनप सकते हैं। इसलिए उसे उबालना बहुत जरूरी है खासकर बच्चों बुजुर्गों और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों के लिए।

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हालांकि उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि जिनकी इम्यूनिटी और डाइजेशन सिस्टम मजबूत है जैसे कि युवा नियमित व्यायाम करने वाले लोग। वे चाहें तो दूध को बिना उबाले भी पी सकते हैं मगर ये एक अपवाद है नियम नहीं।

दूध को उबालने के पीछे का विज्ञान

दूध को उबालने का सबसे बड़ा कारण बैक्टीरिया और संभावित हानिकारक सूक्ष्म जीवों को खात्मा है। भारत जैसे गर्म जलवायु वाले देश में दूध जल्दी खराब हो सकता है इसलिए उबालना इसे सही बनाता है।

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उबालने से दूध में मौजूद लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया ई-कोलाई और अन्य रोगकारक सूक्ष्मजीवों को खत्म किया जा सकता है। इसके अलावा उबालने से दूध का पीएच स्तर संतुलित रहता है जिससे यह देर तक खराब नहीं होता और फटने की संभावना भी कम हो जाती है।

कुछ तर्क इसके विरोध में भी

हालांकि कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ज्यादा उबालने से दूध के पोषक तत्वों में कमी आ सकती है खास कर के बी विटामिन्स और कुछ प्रोटीन स्ट्रक्चर प्रभावित हो सकते हैं। मगर सामान्य घरेलू स्तर पर किया गया उबाल यानी 1-2 बार उबालकर तुरंत ठंडा करना पोषण के लिहाज से हानिकारक नहीं माना जाता।

पैकेट वाले दूध के फायदे

पैकेट वाला दूध यानी पाश्चराइज्ड मिल्क कई मायनों में फायदेमंद भी है। आईये जानते हैं कौन कौन से-

लंबे समय तक सुरक्षित: पाश्चराइजेशन प्रक्रिया दूध को खराब होने से बचाती है और इसे फ्रिज में 2-3 दिन तक सुरक्षित बनाए रखती है।

कम फैट विकल्प उपलब्ध: बाजार में स्किम्ड टोंड और डबल टोंड वर्ज़न मिलते हैं जो वजन घटाने वालों के लिए उपयुक्त हैं।

सुविधाजनक: शहरी जीवन की तेज रफ्तार में यह विकल्प बेहद आसान और समय बचाने वाला है।

साफ-सफाई में बेहतर: फैक्ट्री पैकेजिंग में दूध को स्वच्छता मानकों के अनुसार पैक किया जाता है।

तो क्या निष्कर्ष निकाला जाए

पैकेट वाला दूध हो या खुला दूध सुरक्षा और स्वास्थ्य की दृष्टि से उबालना हमेशा बेहतर विकल्प है। अगर आप व्यायाम करते हैं आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है और आपका पाचन अच्छा है तो आप कभी-कभी बिना उबाले दूध ले सकते हैं। मगर आमजन विशेष रूप से बच्चे बुजुर्ग गर्भवती महिलाएं और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों को उबालकर ही दूध लेना चाहिए।

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दूध का महत्व आज भी उतना ही है जितना हमारे दादी-नानी के वक्त था। फर्क सिर्फ इतना है कि आज हमें ज्यादा जागरूक और वैज्ञानिक नजरिए से सोचने की जरूरत है। दूध को उबालना कोई पुरानी परंपरा नहीं बल्कि आधुनिक स्वास्थ्य सुरक्षा का हिस्सा है। तो अगली बार जब आप दूध का गिलास उठाएं तो उसे उबालना न भूलें।

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