रात में ही क्यों होते हैं हवाई हमले, वजह जानकर हैरान रह जाएंगे आप
मंगलवार की रात्रि हिंदुस्तान ने पाकिस्तान के भीतर एक सटीक और साहसी हवाई हमला किया जिसे ऑपरेशन सिंदूर नाम दिया गया। यह हमला जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब था जिसमें हमारे देश के कई जवान शहीद हुए। लेकिन एक बड़ा सवाल लोगों के मन में उठता है – आखिरकार ऐसे हमले रात के समय ही क्यों किए जाते हैं। क्या ये सिर्फ रणनीतिक कारणों से होते हैं या इसके पीछे कोई और गहराई छुपी है।
इस खबर में हम आपको विस्तार से बताएंगे कि क्यों हिंदुस्तान समेत दुनिया की बड़ी सेनाएं रात के अंधेरे को ऐसे हमलों के लिए चुनती हैं। यह केवल तकनीकी या रणनीतिक लाभ नहीं है बल्कि इसके पीछे कूटनीतिक और मनोवैज्ञानिक कारण भी छिपे हैं।
1. रात के अंधेरे में सुरक्षित रहते हैं हमारे पायलट और सैनिक
रात के समय किए गए हवाई हमलों का सबसे बड़ा लाभ यही होता है कि हमारे पायलटों और जमीनी सैनिकों की जान को कम खतरा होता है। अंधेरे में दुश्मन की सतर्कता कम होती है और उसका रडार सिस्टम विमानों की पहचान करने में कठिनाई महसूस करता है। इससे इंडियन एयर फोर्स को टारगेट तक पहुंचने और मिशन को अंजाम देने का पर्याप्त वक्त मिल जाता है।
इसके अतिरिक्त हमलावर विमानों को पहचानने और उन्हें रोकने की प्रक्रिया रात में धीमी पड़ जाती है। पाकिस्तान जैसे देशों में जहां अक्सर सैन्य सतर्कता सीमित होती है वहां रात के हमले अधिक प्रभावी होते हैं।
2. दुश्मन को तत्काल प्रतिक्रिया का मौका नहीं मिलता
ऑपरेशन सिंदूर जैसी कार्रवाई में सबसे अहम चीज होती है ‘सप्राइज एलीमेंट’। यानी जब दुश्मन को यह पता ही नहीं चलता कि कब और कहां से हमला हुआ तब वह जवाब देने की स्थिति में ही नहीं होता। रात में दुश्मन की गतिविधियाँ पहले से ही सीमित होती हैं और ऐसे में उस पर अचानक किया गया हमला उसका मनोबल तोड़ देता है।
इस तरह के हमले अक्सर ‘बियॉन्ड विजुअल रेंज’ (BVR) से किए जाते हैं यानी पायलट टारगेट को देखे बिना सिर्फ डेटा और लोकेशन के आधार पर हमला करते हैं। इसमें सटीकता की भूमिका अहम होती है और हिंदुस्तान जैसे देश अब सटीक स्ट्राइक क्षमताओं से लैस हो चुके हैं।
3. तकनीकी कारण: रडार और थर्मल इमेजिंग की सीमाएँ
दुश्मन देश के पास चाहे कितनी भी आधुनिक रडार तकनीक क्यों न हो रात में विमानों और ड्रोन की पहचान करना कठिन हो जाता है। खासकर जब विमान ‘स्टील्थ मोड’ में होते हैं या इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग का सहारा लेते हैं तब रडार उनके सिग्नल को पकड़ नहीं पाता।
थर्मल इमेजिंग सिस्टम भी सीमित दूरी और मौसम पर निर्भर करता है। बादल तापमान और ऊंचाई जैसे कारक इस तकनीक की प्रभावशीलता को प्रभावित करते हैं। इसी वजह से हिंदुस्तान जैसे देश अपने हमलों को ऐसी रातों में अंजाम देते हैं जब वातावरण दुश्मन की निगरानी को मुश्किल बना दे।
4. अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया को नियंत्रित करने की रणनीति
जब कोई देश अपने बचाव के लिए आक्रामक कदम उठाता है तो अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसकी निंदा होने की आशंका होती है। लेकिन यदि हमला रात में किया जाए और नागरिक हानि न्यूनतम हो तो वैश्विक आलोचना भी सीमित रहती है। हिंदुस्तान ने बालाकोट एयरस्ट्राइक के समय भी यही रणनीति अपनाई थी और अब ऑपरेशन सिंदूर में भी।
ये रणनीति ये संदेश भी देती है कि हिंदुस्तान आतंक के विरुद्ध निर्णायक कार्यवाही करने को तैयार है लेकिन वह आम नागरिकों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता।
5. मनोवैज्ञानिक प्रभाव: डर और भ्रम फैलाना
रात का समय मनोवैज्ञानिक रूप से प्रभावी होता है। जब दुश्मन सो रहा होता है और तभी उसके ठिकानों पर हमला होता है तो उसका आत्मविश्वास टूटता है। उसे लगता है कि हिंदुस्तान जब चाहे तब हमला कर सकता है और वह असहाय है। इस तरह के हमले सिर्फ भौतिक नहीं बल्कि मानसिक चोट भी पहुंचाते हैं।
पाकिस्तानी सेना और आतंकी संगठनों में इससे डर और भ्रम का माहौल बनता है। उन्हें हर रात यह डर सताने लगता है कि अगला निशाना वे हो सकते हैं। यह डर ही हिंदुस्तान की बड़ी जीत है।
6. खुफिया जानकारी की भूमिका और तेज फैसला
ऐसे हमलों की सफलता खुफिया जानकारी पर निर्भर करती है। हिंदुस्तान की खुफिया एजेंसियों ने ऑपरेशन सिंदूर से पहले पुख्ता जानकारी इकट्ठा की और टारगेट की सटीक लोकेशन पहचानी। रात में हमला करने का मतलब यह भी होता है कि जैसे ही खुफिया जानकारी मिलती है तुरंत कार्यवाही की जा सकती है। इससे दुश्मन को अपनी पोजीशन बदलने या छुपने का मौका नहीं मिलता।
7. ऑपरेशन सिंदूर: हिंदुस्तान की सैन्य क्षमता का प्रदर्शन
ऑपरेशन सिंदूर केवल एक जवाबी कार्रवाई नहीं था यह हिंदुस्तान की रणनीतिक क्षमता का प्रदर्शन भी था। यह बताता है कि हिंदुस्तान अब सिर्फ प्रतिक्रिया नहीं देता बल्कि अपनी मर्जी से समय और जगह चुनकर प्रहार करता है। यह हिंदुस्तान की प्रोएक्टिव डिफेंस डोक्ट्रिन का हिस्सा है जिसमें हमले का जवाब इंतज़ार करने के बजाय समय रहते और सही स्थान पर दिया जाता है।
हिंदुस्तान की यह कार्रवाई केवल एक घटनाक्रम नहीं है यह भविष्य में हिंदुस्तान के रुख का संकेत है। अब हिंदुस्तान आतंकी हमलों का जवाब सिर्फ शब्दों में नहीं बल्कि ठोस कार्रवाई से देगा। और वह भी तब जब दुश्मन को इसकी सबसे कम उम्मीद हो।
रात के समय किए गए हमले एक सुनियोजित सटीक और प्रभावशाली संदेश देते हैं – हिंदुस्तान कमजोर नहीं बल्कि हर वक्त सतर्क और तैयार है।
जब हिंदुस्तान पाकिस्तान के भीतर घुसकर हमला करता है वो केवल आतंक का जवाब नहीं देता बल्कि पूरे विश्व को संदेश देता है कि हिंदुस्तान अब “स्ट्रैटेजिक ऑटोनॉमी” के सिद्धांत पर चल रहा है। यानी हिंदुस्तान किसी वैश्विक प्रेशर के तहत नहीं बल्कि अपनी नीति के अनुसार काम करता है।
ऑपरेशन सिंदूर की खूबी यही थी कि यह बेहद सटीक और सीमित था। हिंदुस्तान ने सिर्फ उन्हीं ठिकानों पर हमला किया जहाँ आतंकी मौजूद थे। यह युद्ध नहीं बल्कि Targeted Strike था। इससे अंतरराष्ट्रीय मंच पर हिंदुस्तान की छवि एक ज़िम्मेदार राष्ट्र की बनी रहती है जो आतंक के विरुद्ध सख्त है लेकिन नागरिकों की सुरक्षा को भी प्राथमिकता देता है।
आपको बता दें कि इस किस्म के ऑपरेशन के बाद देशभर में एकता, भरोसा और उत्साह का माहौल बनता है। भारत की आवाम जानती है कि अब देश मूकदर्शक नहीं है बल्कि आक्रामक रुख अपनाने को तैयार है।
Pingback: Plane Crash में मिले 70 तोला सोने और नकदी पर किसका हक, कानून जानें