Panchayat Elections में ये फॉर्मूला आजमाने की तैयारी में सपा
यूपी में होने वाले पंचायत चुनाव (Panchayat Elections) को समाजवादी पार्टी (सपा) ने 2027 में होने वाले विधानसभा इलेक्शन (assembly elections) का सेमीफाइनल मान लिया है। पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसे सियासी लिटमस टेस्ट बताते हुए पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को हर गतिविधि पर नजर रखने का सख्त निर्देश दिया है।
सपा इस इलेक्शन में फिर से अपने पुराने मगर प्रभावी ‘पीडीए फॉर्मूले’ (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) को आजमाने जा रही है। अखिलेश यादव का मानना है कि पंचायत चुनाव (Panchayat Elections) में इस फॉर्मूले को दोहराकर 2027 के लिए माहौल तैयार किया जा सकता है।
आरक्षण प्रक्रिया पर कड़ी नजर
पार्टी ने पंचायत चुनावों (Panchayat Elections) में न सिर्फ संगठनात्मक स्तर पर मजबूती पर जोर दिया है बल्कि आरक्षण प्रक्रिया और परिसीमन पर भी नजर रखने का काम शुरू कर दिया है। अखिलेश ने हर जिले के नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी है कि अगर कहीं कोई गड़बड़ी दिखे तो तुरंत चुनाव आयोग तक सूचना पहुंचाई जाए।
जमीनी पकड़ मजबूत करने पर जोर
सपा का मानना है कि पंचायत स्तर पर अच्छा प्रदर्शन आगामी विधानसभा इलेक्शन (assembly elections) में उसे मजबूती देगा। इसके लिए पार्टी ने जातीय सर्वेक्षण और मंडल राजनीति को आधार बनाकर ग्रामीण क्षेत्रों में पकड़ मजबूत करने की रणनीति बनाई है। पार्टी बूथ प्रबंधन और मतदाता जागरूकता पर भी खास फोकस कर रही है, ताकि ग्रामीण इलाकों में सपा की पैठ और गहरी हो सके।
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2027 का रिहर्सल मानकर उतर रही सपा
सपा के प्रदेश सचिव और विधायक अताउर्रहमान ने कहा कि ग्राम प्रधान, ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष का नेटवर्क गांवों में मतदाताओं को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ऐसे में पार्टी पंचायत चुनाव (Panchayat Elections) में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती।
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सपा और उसके कार्यकर्ताओं का साफ कहना है कि पंचायत चुनाव (Panchayat Elections) को विधानसभा इलेक्शन (assembly elections) 2027 का रिहर्सल मानकर तैयारी की जा रही है। मकसद यही है कि पंचायत चुनाव (Panchayat Elections) में अच्छा प्रदर्शन कर 2027 में सत्ता में वापसी की मजबूत जमीन तैयार की जाए।
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