सपा की साइलेंट स्ट्रैटेजी, जानें क्यों नहीं हुई हर बागी विधायक पर कार्रवाई
राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग (cross voting) के बाद समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने तीन बागी विधायकों (rebel MLA) को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया ऊंचाहार से मनोज पांडेय (Manoj Pandey), गौरीगंज से राकेश प्रताप सिंह (Rakesh Pratap Singh) और गोसाईंगंज से अभय सिंह (Abhay Singh)। यह कदम तेज़ और कठोर प्रतीत हुआ। लेकिन हैरानी की बात ये है कि पार्टी ने बाकी बागियों के खिलाफ अभी तक कोई ठोस एक्शन नहीं लिया। आखिर ऐसा क्यों?
दरअसल, इन ‘विधायकों’ के पीछे छुपी है समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की एक गहरी रणनीति — और यह रणनीति जातीय और सामाजिक गणित (caste equation) से जुड़ी है।
किन विधायकों को बख्शा गया
बचाए गए नामों में कालपी से विनोद चतुर्वेदी (Vinod Chaturvedi), चायल से पूजा पाल (Puja Pal), जलालाबाद से राकेश पांडे (Rakesh Pandey), बिसौली से आशुतोष मौर्य (Ashutosh Maurya) और अमेठी से महाराजी देवी (Maharaji Devi) शामिल हैं। इनमें से कुछ ने क्रॉस वोटिंग (cross voting) की, तो कुछ ने भाजपा के पक्ष में अप्रत्यक्ष रूप से खड़े होकर सपा को झटका दिया। फिर भी पार्टी का रवैया नरम रहा।
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रणनीति क्या कहती है
सूत्रों की मानें तो सपा (Samajwadi Party) ने इन विधायकों के खिलाफ अभी कार्रवाई न करके दोहरा संदेश देने की कोशिश की है। पहला, इनका समुदाय सपा के लिए आने वाले चुनावों में बेहद अहम है — विशेष रूप से ब्राह्मण वोट बैंक (Brahmin vote bank) और अगड़ा वर्ग (forward class)। दूसरा, पार्टी यह दिखाना चाहती है कि वह राजनीतिक धोखे को व्यक्तिगत नहीं लेती और अपने ‘लोगों’ को सुधारने का मौका देती है (political apology, second chance in SP)।
खासकर ब्राह्मण नेता विनोद चतुर्वेदी और राकेश पांडे को बख्शना, सपा के ‘पीडीए’ फॉर्मूले (PDA formula) में ‘ए’ — यानि ‘अगड़ा वर्ग’ (forward class) के प्रति उसके बदले रुख को दर्शाता है। सपा नेतृत्व (SP strategy), विशेषकर अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) बार-बार मंच से यह कहते आए हैं कि पीडीए (पिछड़ा, दलित, अगड़ा) (backward Dalit forward) अब पार्टी की राजनीति की रीढ़ है।
क्या है ‘दूसरा मौका’ प्लान
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि यदि इनमें से कोई विधायक अपनी ‘राजनीतिक चूक’ को लेकर सार्वजनिक माफीनामा (political apology) जारी करता है या सपा अध्यक्ष के सामने पश्चाताप प्रकट करता है, तो पार्टी भविष्य में उन्हें फिर से मंच दे सकती है यही है ‘दूसरा मौका’ प्लान (second chance in SP)।
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ये मैसेज उन सभी असंतुष्टों के लिए भी है जो इधर-उधर देखने लगे हैं, खासकर 2025 की उत्तर प्रदेश चुनावों (Uttar Pradesh elections 2025) से पहले।
पार्टी की ‘पब्लिक इमेज’ भी दांव पर
लोकसभा चुनाव (Lok Sabha election strategy) के ठीक बाद अगर सपा इन नेताओं पर कड़ी कार्रवाई करती, तो यह उनके समर्थक वर्ग को नाराज़ कर सकता था जिससे चुनावी नुकसान और पार्टी की छवि (Samajwadi Party image) पर असर पड़ता। इसलिए पार्टी ने एक मुलायम रुख अपनाया है ताकि वह अपने जातिगत समीकरणों (SP’s caste politics) को और मज़बूती दे सके।
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