पर्यावरण बचाने में नंबर वन है ये देश, जानें कैसे करता है संरक्षण
पर्यावरण संरक्षण (environmental protection) आज के समय में वैश्विक प्राथमिकता बन चुका है। जलवायु परिवर्तन, वायु प्रदूषण और कुदरती संसाधनों के क्षरण ने दुनिया को पर्यावरण के प्रति जागरूक होने के लिए मजबूर किया है। अलग अलग देश अपनी नीतियों, तकनीकी नवाचारों और सामुदायिक पहलों के माध्यम से पर्यावरण को बचाने का प्रयास कर रहे हैं। इस खबर में हम ये जानेंगे कि पर्यावरण संरक्षण (environmental protection) में कौन सा देश नंबर वन है और इसके पीछे के कारण क्या हैं।
क्या है पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (EPI)
पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (EPI) येल विश्वविद्यालय और कोलंबिया विश्वविद्यालय द्वारा बनाया गया एक मापदंड है, जो 180 देशों के पर्यावरणीय प्रदर्शन को मापता है। यह सूचकांक 32 प्रदर्शन संकेतकों पर आधारित है जो दो मुख्य श्रेणियों में बांटा हैं-
- पर्यावरणीय स्वास्थ्य: वायु गुणवत्ता, स्वच्छता और पेयजल की उपलब्धता।
- पारिस्थितिकी तंत्र की जीवन शक्ति: जैव विविधता, वन संरक्षण और जलवायु परिवर्तन शमन।
2022 के EPI के अनुसार, डेनमार्क 77.9 अंकों के साथ शीर्ष स्थान पर रहा। ये देश पर्यावरण संरक्षण (environmental protection) में नंबर वन है।
डेनमार्क की पर्यावरण नीतियां
डेनमार्क ने पर्यावरण संरक्षण (environmental protection) के लिए कई प्रभावी नीतियां लागू की हैं। इसकी राजधानी कोपेनहेगन को 2050 तक कार्बन-न्यूट्रल बनाने का लक्ष्य है। डेनमार्क की कुछ प्रमुख पहलें निम्नलिखित हैं-
- नवीकरणीय ऊर्जा: डेनमार्क विश्व में पवन ऊर्जा का सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है। 2023 तक, देश की 50% से अधिक बिजली नवीकरणीय स्रोतों से उत्पन्न होती है।
- साइकिल संस्कृति: कोपेनहेगन में साइकिल लेन और बाइक-शेयरिंग प्रोग्राम ने कार्बन उत्सर्जन को काफी कम किया है।
- कचरा प्रबंधन: डेनमार्क में 99% कचरे का पुनर्चक्रण या ऊर्जा उत्पादन के लिए उपयोग किया जाता है।
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डेनमार्क की कामयाबी की वजह
डेनमार्क की सफलता के पीछे कई कारक हैं-
- सरकारी समर्थन: सरकार ने हरित ऊर्जा और पर्यावरणीय प्रौद्योगिकियों में भारी निवेश किया है।
- सामुदायिक जागरूकता: डेनमार्क के नागरिक पर्यावरण के प्रति अत्यधिक जागरूक हैं और स्थायी जीवनशैली अपनाते हैं।
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग: डेनमार्क ने पेरिस समझौते और अन्य वैश्विक पर्यावरण संधियों में सक्रिय भागीदारी की है।
अन्य शीर्ष देश
डेनमार्क के अलावा कई अन्य देश भी पर्यावरण संरक्षण (environmental protection) में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं।
1. स्वीडन
स्वीडन पर्यावरण संरक्षण (environmental protection) में तीसरे स्थान पर है। यह देश कार्बन डाइऑक्साइड और ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए जाना जाता है। स्वीडन की कुछ प्रमुख पहलें-
- आइकिया और स्थायित्व: स्वीडन की कंपनी आइकिया पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों को बढ़ावा देती है।
- नवीकरणीय ऊर्जा: स्वीडन 2040 तक जीवाश्म ईंधन से मुक्त होने का लक्ष्य रखता है।
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2. स्विट्जरलैंड
स्विट्जरलैंड अपनी स्वच्छ हवा, जल संरक्षण और जैव विविधता संरक्षण के लिए प्रसिद्ध है। यह देश सौर और जलविद्युत ऊर्जा का उपयोग करता है।
3. नॉर्वे
नॉर्वे प्राकृतिक सुंदरता और पर्यावरण संरक्षण (environmental protection) के लिए जाना जाता है। यह देश शरणार्थियों को आश्रय देने और यूएन संधियों का पालन करने में भी अग्रणी है।
4. न्यूजीलैंड
न्यूजीलैंड के लोग प्रकृति के प्रति जागरूक हैं और पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों को प्राथमिकता देते हैं। देश ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कई नीतियां लागू की हैं।
भारत की स्थिति: चुनौतियां और प्रयास
भारत की रैंकिंग
2022 के पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक में भारत 180 देशों में 180वें स्थान पर था। यह स्थिति कई पर्यावरणीय चुनौतियों को दर्शाती है। जैसे-
- वायु प्रदूषण: दिल्ली विश्व की सबसे प्रदूषित राजधानियों में से एक है। 2020 में दिल्ली में वायु प्रदूषण से 54,000 से अधिक मौतें हुईं।
- जल संकट: कई क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल की कमी है।
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- वन कटाई: औद्योगिकीकरण और शहरीकरण के कारण वनों का क्षेत्र कम हो रहा है। सन् 2023 की एक रिपोर्ट में भारत को जलवायु प्रदर्शन में सातवें स्थान पर रखा गया, जो दर्शाता है कि देश कुछ क्षेत्रों में प्रगति कर रहा है।
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भारत के पर्यावरणीय प्रयास
- भारत ने पर्यावरण संरक्षण (environmental protection) के लिए कई कदम उठाए हैं।
- चिपको आंदोलन: 1973 में शुरू हुआ यह आंदोलन वनों की कटाई के खिलाफ था और इसे सुंदरलाल बहुगुणा ने नेतृत्व किया।
- साइलेंट वैली बचाओ आंदोलन: 1980 के दशक में केरल में यह आंदोलन जंगल को बचाने के लिए चलाया गया।
- स्वच्छ भारत अभियान: इस अभियान ने स्वच्छता और कचरा प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित किया है।
भारत के लिए सुझाव
- नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा: सौर और पवन ऊर्जा में निवेश बढ़ाना।
- वायु प्रदूषण नियंत्रण: उद्योगों और वाहनों से उत्सर्जन को कम करने के लिए सख्त नियम।
- सामुदायिक भागीदारी: पर्यावरण जागरूकता अभियानों को बढ़ावा देना।
- वैश्विक पर्यावरण संरक्षण (environmental protection) की चुनौतियां
- वैश्विक स्तर पर पर्यावरण संरक्षण (environmental protection) कई चुनौतियों का सामना कर रहा है।
- जलवायु परिवर्तन: बढ़ते तापमान और चरम मौसमी घटनाएं।
- प्रदूषण: प्लास्टिक और औद्योगिक प्रदूषण का बढ़ता स्तर।
- जैव विविधता हानि: प्रजातियों के विलुप्त होने की दर में वृद्धि।
इन चुनौतियों से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग, तकनीकी नवाचार और सामुदायिक प्रयास जरूरी हैं।
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आपको बता दें कि डेनमार्क ने अपनी नीतियों, तकनीकी नवाचारों और सामुदायिक जागरूकता के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण (environmental protection) में नंबर वन का स्थान हासिल किया है। अन्य देश, जैसे स्वीडन, स्विट्जरलैंड और नॉर्वे, भी उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं। भारत हालांकि अभी चुनौतियों का सामना कर रहा है, मगर अपने पर्यावरणीय प्रयासों को तेज करके बेहतर स्थिति प्राप्त कर सकता है। पर्यावरण संरक्षण एक साझा जिम्मेदारी है और हर देश और व्यक्ति को इसमें योगदान देना होगा।
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