ये भारत की सबसे रहस्यमयी नदी, इसके पानी को छूने से डरते हैं लोग
भारत में नदियां न केवल लाइफ लाइन होती हैं बल्कि हमारी संस्कृति और धर्म से भी जुड़ी हुईं हैं। हमारी 400 से ज्यादा नदियां प्राचीन इतिहास और लोककथाओं का हिस्सा हैं जिनमें गंगा यमुना गोदावरी नर्मदा कावेरी और ब्रह्मपुत्र जैसी प्रमुख नदियां प्रमुख स्थान रखती हैं। ये नदियां हमारे देश के भौतिक और मानसिक जीवन में एक अहम भूमिका निभाती हैं। मगर क्या आप जानते हैं कि एक ऐसी नदी भी है जिसका पानी छूने से लोग आज भी डरते हैं?
हम बात कर रहे हैं कर्मनाशा नदी की जो उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमा पर बहती है। आइए जानते हैं इस रहस्यमय नदी के बारे में कुछ रोचक तथ्य और मिथक जो इसे अलग बनाते हैं।
इस राज्य से निकलती है ये नदी
कर्मनाशा नदी उत्तर प्रदेश और बिहार की सरहद पर स्थित है और यह नदी बिहार के कैमूर जिले से निकलती है। इसके बाद यह नदी उत्तर प्रदेश के सोनभद्र चंदौली वाराणसी और गाजीपुर जिलों से होती हुई बक्सर के पास गंगा में मिल जाती है। इस नदी की कुल लंबाई लमसम 192 किलोमीटर है मगर यह केवल अपनी लंबाई के लिए ही नहीं बल्कि एक अजीबो-गरीब मिथक के कारण भी जानी जाती है।
एक मिथक जो डराता है
कर्मनाशा नदी के बारे में एक प्रचलित मिथक है जो लोगों को इसे छूने से रोकता है। इस नदी के पानी को लेकर कहा जाता है कि जो व्यक्ति इसे छूता है उसके सारे पुण्य नष्ट हो जाते हैं। यह मिथक इतनी गहरे में बैठा हुआ है कि लोग इसे धार्मिक या शापित मानते हैं।
इस मिथक की जड़ एक पुरानी पौराणिक कथा से जुड़ी हुई है। कथा के अनुसार राजा त्रिशंकु का राज्य कभी एक अजीब स्थिति में था। ये कहा जाता है कि कर्मनाशा नदी राजा त्रिशंकु के राज्य की लार से बनी थी और इसी कारण इसे शापित नदी माना जाता है। इस कथा के अनुसार नदी का पानी छूने से मनुष्य के सभी पुण्य कर्म नष्ट हो जाते हैं और उसे कभी भी मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती।
ये धार्मिक विश्वास और कथा ने कर्मनाशा नदी को एक शापित और नकरात्मक रूप में प्रस्तुत किया है और यही कारण है कि लोग आज भी इस नदी से दूर रहने की कोशिश करते हैं।
नदी का नामकरण कैसे हुआ
कर्मनाशा नदी का नाम भी इसी मिथक से जुड़ा हुआ है। “कर्मनाशा” का शाब्दिक अर्थ होता है “कर्मों का नाश करने वाली” यानी वो नदी जिसके पानी से सभी अच्छे कर्म खत्म हो जाते हैं। यही नामकरण इस नदी की कुदरत और पौराणिक कथाओं से जुड़ी मान्यताओं को दर्शाता है।
आपको बता दें कि विज्ञान और आधुनिक सोच के दृष्टिकोण से इस नदी का पानी किसी विशेष हानिकारक तत्व से भरा नहीं है फिर भी समाज में यह विश्वास बने हुए हैं कि कर्मनाशा नदी का पानी शापित है। यह दिखाता है कि कैसे एक मिथक और पौराणिक कथा लोगों के जीवन और उनके सोचने के तरीके को प्रभावित करती है।