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Plane Crash के बाद सबसे पहले जिस चीज की तलाश की जाती है, वो है ब्लैक बॉक्स; जानें क्या है ये

What is Black Box in Aeroplane: जब कहीं भी विमान दुर्घटना (Plane Crash) ग्रस्त होता है तो सबसे पहले दुर्घटना के कारणों का पता लगाना होता है। विमान दुर्घटना (Plane Crash) के तुरंत बाद स्थानीय प्रशासन, सुरक्षा बल और अग्निशमन विभाग जैसी आपातकालीन सेवाएं वहां पहुंच जाती हैं। विमान दुर्घटना (Plane Crash) के बाद ब्लैक बॉक्स उस दुर्घटना से जुड़ी जानकारी हासिल करने के लिए बेहद अहम चीज बन जाता है।

विमान दुर्घटना (Plane Crash) के बाद उसकी जांच के लिए एक खास तौर पर प्रशिक्षित हवाई दुर्घटना जांच दल का गठन किया जाता है। जो ब्लैक बॉक्स को खोजने का काम भी करता है। भारत में इन दलों को नागरिक उड्डयन महानिदेशालय और विमान दुर्घटना (Plane Crash) जांच ब्यूरो द्वारा भेजा जाता है।

जानें कैसे सुरक्षित बचा रहा है ब्लैक बॉक्स  (What is Black Box in Aeroplane)

अब ये सवाल कई लोगों के मन में आएगा कि जब विमान दुर्घटना (Plane Crash) में पूरा विमान नष्ट हो जाता है, तो ब्लैक बॉक्स कैसे बच जाता है? चाहे दुर्घटना कितनी भी बड़ी क्यों न हो, ब्लैक बॉक्स को कुछ नहीं होता, क्योंकि ये टाइटेनियम से बना होता है और दुर्घटना के दौरान भी सुरक्षित रहता है। ब्लैक बॉक्स को सुरक्षित रखने के लिए इसे एक मजबूत बॉक्स में रखा जाता है।

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ब्लैक बॉक्स एक मजबूत और दबाव प्रतिरोधी उपकरण होता है, जिसका काम उड़ान के दौरान विमान की हरकतों को रिकॉर्ड करना होता है। यह एक डिजिटल डायरी होती है, जो विमान में लगाई जाती है और इसमें बहुत सारी जानकारी स्टोर होती है और अगर दुर्घटना के बाद ब्लैक बॉक्स मिल जाए तो यह दुर्घटना के बारे में पूरी जानकारी दे सकता है।

जो कोई भी पहली बार ब्लैक बॉक्स शब्द सुनता है, उसे लगता है कि यह बॉक्स काला होना चाहिए। मगर असल में यह काला नहीं होता। ब्लैक बॉक्स चमकीले नारंगी रंग का होता है, जिससे इसे आसानी से ढूंढा जा सकता है।

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ब्लैक बॉक्स में दो अहम हिस्से होते हैं, एक में फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) होता है, जो विमान की उड़ान के दौरान होने वाली सभी तकनीकी जानकारी रिकॉर्ड करता है, जैसे कि गति, ऊंचाई, दिशा, ईंधन का स्तर और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) समेत अन्य जानकारी। इसके साथ ही यह पायलट और को-पायलट के बीच की बातचीत को भी रिकॉर्ड करता है।

इस डिब्बे  में मेमोरी चिप होती है और सारा डेटा इसमें स्टोर होता है। इसमें डेटा निरंतर रिकॉर्ड होता रहता है और कुछ वक्त बाद पुराने डेटा को नए डेटा से ओवरराइट कर दिया जाता है।

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