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अनपढ़ मां बनी हौसला और ऐसे पास कर लिया यूपीएससी का एग्जाम

यह कहानी है संकल्प की, जिद्द की और एक माँ के अटूट विश्वास की। यह दास्तान है अक्षय संभाजी मुंडे की, जिन्होंने तमाम मुश्किलों और अभावों को रौंदते हुए प्रतिष्ठित यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग) की परीक्षा में 699वीं रैंक हासिल कर सफलता का परचम लहराया है। अक्षय का जीवन एक प्रेरणास्रोत है, जो यह साबित करता है कि मजबूत इरादे और सही मार्गदर्शन के बूते किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है।

एक बेहद साधारण परिवार में जन्मे अक्षय की माँ शिक्षित नहीं थीं और कुछ ही वर्षों में उनके पिता का साया भी उठ गया। जीवन की राह आसान नहीं थी, लेकिन उनकी अनपढ़ माँ ने एक ऐसे बच्चे को जन्म दिया था, जिसके भीतर हार न मानने का जज्बा कूट-कूट कर भरा था। आज अक्षय अपनी सफलता का श्रेय अपनी माँ को देते हैं। उनका कहना है, “मैं आज यूपीएससी परीक्षा पास करने में सक्षम हो गया और मैं विनम्रतापूर्वक कहना चाहता हूं कि मेरी अनपढ़ माँ ने ही मुझे यूपीएससी का रास्ता दिखाया।”

बिना किसी कोचिंग क्लास के की थी तैयारी

पुणे के गोखले नगर इलाके में रहकर अक्षय ने स्वयं ही प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी की और सफलता प्राप्त की। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि बिना किसी कोचिंग क्लास के भी प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता हासिल करना संभव है, यदि सही दिशा में मेहनत की जाए।

अक्षय बताते हैं कि उनकी और उनकी बहन की परवरिश उनकी अनपढ़ माँ ने अकेले ही की। उनकी माँ की हमेशा यही इच्छा रही कि उनके बच्चे खूब पढ़ें और जीवन में आगे बढ़ें। इसके लिए वह हर संभव मेहनत करने को तैयार रहती थीं। माँ के इन्हीं प्रयासों ने अक्षय को पढ़ाई के लिए प्रेरित किया और वह उनकी सबसे बड़ी ताकत बन गईं। हालांकि, परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति लगातार उनके सामने चुनौतियां पेश करती रही, जिससे उन्हें घर की जिम्मेदारियों का भी एहसास होता था। लेकिन उनकी माँ ने उन्हें कभी भी अपने लक्ष्य से भटकने नहीं दिया।

लातूर से बीडीएस (बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी) की डिग्री पूरी करने के बाद अक्षय ने एक साल तक मरीजों की सेवा भी की। इसके बाद उन्हें महात्मा फुले छात्रवृत्ति मिली, जिसने उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला दिया। इस छात्रवृत्ति की बदौलत वह पुणे आकर पूर्णकालिक रूप से यूपीएससी की तैयारी करने में सक्षम हो सके। अक्षय विनम्रतापूर्वक कहते हैं, “शायद अगर यह वजीफा न होता, तो मेरा यूपीएससी का सपना अधूरा रह जाता।”

अक्षय मुंडे अपनी सफलता के लिए अपनी माँ के मजबूत समर्थन, यूपीएससी परीक्षा देने के उनके आग्रह और छात्रवृत्ति के रूप में मिली वित्तीय सहायता को महत्वपूर्ण मानते हैं। उनकी कहानी उन लाखों युवाओं के लिए एक उम्मीद की किरण है, जो अभावों के बीच भी अपने सपनों को साकार करने का जज्बा रखते हैं। अक्षय ने यह साबित कर दिखाया है कि सच्ची प्रेरणा और दृढ़ संकल्प के साथ, बिना किसी महंगी कोचिंग के भी सफलता की ऊंचाइयों को छुआ जा सकता है। उनकी यह उपलब्धि न सिर्फ उनके परिवार बल्कि पूरे समाज के लिए गर्व का विषय है।

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