जानें सीजफायर क्या है और भारत-पाकिस्तान के बीच इसका क्या मतलब
दस मई 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर एक बड़ी घोषणा की। भारत और पाकिस्तान दो परमाणु शक्ति संपन्न पड़ोसी देश पूर्ण और तत्काल युद्ध विराम पर सहमत हो गए हैं। ये घोषणा अमेरिका की मध्यस्थता में लंबी रात की बातचीत के बाद हुई। इसे लेकर कई सवाल भी खड़े हुए हैं जैसे कि इस युद्ध विराम का क्या मतलब है, क्या ये टिकेगा, इसका क्षेत्र और दुनिया के लिए क्या महत्व है। आईये सीजफायर को थोड़ा करीब से जानते हैं।
क्या होता है युद्ध विराम (सीजफायर)
युद्ध विराम यानि सीजफायर एक तरह से युद्ध में “पॉज बटन” दबाने जैसा है। ये विरोधी पक्षों के बीच एक अस्थायी समझौता है जिसमें गोलीबारी मिसाइल हमले या ड्रोन हमले जैसी शत्रुतापूर्ण गतिविधियों को रोकने पर सहमति होती है। युद्ध विराम एकतरफा हो सकता है जब एक पक्ष लड़ाई बंद कर देता है या आपसी जब दोनों पक्ष रुकने के लिए सहमत होते हैं। ये आमतौर पर युद्ध विद्रोह या सीमा संघर्षों में उपयोग होता है ताकि बातचीत मानवीय सहायता या तनाव कम करने का मौका मिले।
हिंदुस्तान और पाकिस्तान के मामले में ये युद्ध विराम हाल के सीमा पार हमलों को रोकने का मतलब है जिसमें मिसाइल और ड्रोन हमले शामिल हैं। ये संघर्ष 22 अप्रैल 2025 को भारतीय प्रशासित कश्मीर के पहलगाम में हुए एक आतंकी हमले के बाद भड़का जिसमें 26 लोग ज्यादातर हिंदू पर्यटक मारे गए। भारत ने इसके लिए पाकिस्तान आधारित आतंकी समूहों जैसे जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा को जिम्मेदार ठहराया और पाकिस्तान पर आतंकवाद को समर्थन देने का आरोप लगाया—जिसे पाकिस्तान ने खारिज किया। इस युद्ध विराम का लक्ष्य इन हमलों को रोकना है जिसमें नागरिक बुनियादी ढांचे जैसे अस्पतालों और सैन्य प्रणालियों जैसे भारत के एस-400 हवाई रक्षा तंत्र को निशाना बनाने से बचना शामिल है।
मगर यही पेंच है: युद्ध विराम शांति नहीं है। ये एक ठहराव है न कि समाधान। इतिहास बताता है कि युद्ध विराम नाजुक हो सकते हैं खासकर जब विश्वास कम हो। तो इसका भारत और पाकिस्तान के लिए क्या मतलब है।
भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद क्यों
इस युद्ध विराम को समझने के लिए हमें थोड़ा पीछे जाना होगा। भारत और पाकिस्तान के बीच 1947 में बंटवारे के बाद से ही विवाद रहा है। कश्मीर जिस पर दोनों देश दावा करते हैं मगर जो उनके बीच बंटा हुआ है दशकों से विवाद का केंद्र रहा है। ताजा तनाव 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए एक भयानक हमले से शुरू हुआ जिसमें 26 लोग मारे गए। भारत ने पाकिस्तान पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का इल्जाम लगाया और “ऑपरेशन सिंदूर” शुरू किया जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में नौ आतंकी अड्डों को निशाना बनाया गया। इन हमलों में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए मगर तनाव और बढ़ गया।
पाकिस्तान ने जवाब में “ऑपरेशन बुनयान-अल-मारसूस” शुरू किया जिसमें तुर्की के अस्सिगार्ड सोंगर ड्रोन सहित ड्रोन और मिसाइलों का उपयोग कर जम्मू-कश्मीर से गुजरात तक भारत के 26 ठिकानों पर हमला किया। दोनों पक्षों ने दावा किया कि उन्होंने ज्यादातर हमलों को नाकाम कर दिया मगर नुकसान हुआ: 60 से अधिक लोग मारे गए और व्यापक युद्ध का डर बढ़ गया।
यही से अमेरिका की भूमिका सामने आई। ट्रंप की घोषणा ने अमेरिका की मध्यस्थता को दर्शाया। भारत ने इसे कम करके बताया और कहा कि समझौता दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशकों (डीजीएमओ) के बीच सीधे हुआ। चाहे श्रेय किसी को मिले युद्ध विराम 10 मई 2025 को शाम 5 बजे IST से लागू हुआ। मगर कुछ ही घंटों बाद श्रीनगर में विस्फोट और उल्लंघन के आरोपों ने इसके टिकने पर संदेह पैदा कर दिया।
युद्ध विराम के दौरान क्या होता है
युद्ध विराम का मतलब सिर्फ “गोलीबारी बंद” नहीं है। इसमें खास प्रतिबद्धताएँ शामिल होती हैं जैसे जमीन हवा और समुद्र पर सैन्य अभियानों को रोकना। भारत और पाकिस्तान के लिए इसका मतलब है नियंत्रण रेखा (LoC) या अंतरराष्ट्रीय सरहद पर ड्रोन हमले मिसाइल हमले या तोपखाने की गोलीबारी बंद करना। इसमें नागरिक बुनियादी ढांचे जैसे अस्पताल स्कूल और बिजली ग्रिड की रक्षा करना और सैन्य ठिकानों जैसे हवाई अड्डों या भारत के एस-400 सिस्टम को निशाना बनाने से बचना शामिल है।
युद्ध विराम के कई मकसद हो सकते हैं। कभी-कभी ये मानवीय होता है जिसमें घायलों को निकालना मदद पहुंचाना या कैदियों का आदान-प्रदान शामिल होता है। कभी-कभी ये रणनीतिक होता है जो पक्षों को पुनर्गठन या बातचीत का मौका देता है।
आपको बता दें कि युद्ध विराम अचूक नहीं हैं। उल्लंघन चाहे गलती से हो या जानबूझकर इसे तोड़ सकते हैं। दोनों देशों ने समझौते के तुरंत बाद एक-दूसरे पर उल्लंघन का इल्जाम लगाया। भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने पाकिस्तान पर “बार-बार उल्लंघन” का आरोप लगाया। तो वहीं पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने संयम की अपील की। इस संघर्ष में कामिकेज़ ड्रोन का उपयोग जो रूस-यूक्रेन युद्ध से प्रेरित है एक नई और चिंताजनक चुनौती है। ये एकतरफा ड्रोन ट्रैक करना मुश्किल हैं और गलत इस्तेमाल होने पर तनाव फिर से भड़का सकते हैं।
ट्रंप की जीत या भारतीय कूटनीति
ट्रंप के ट्रुथ सोशल पोस्ट ने युद्ध विराम को अमेरिका की जीत के रूप में पेश किया जिसमें विदेश मंत्री मार्को रुबियो और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की “लंबी रात की बातचीत” को श्रेय दिया गया। रुबियो ने ये भी सुझाव दिया कि भारत और पाकिस्तान तटस्थ स्थान पर व्यापक बातचीत के लिए सहमत हुए जिसे भारत ने तुरंत खारिज कर दिया। भारत ने जोर देकर कहा कि युद्ध विराम दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच सीधे बातचीत से हुआ और अमेरिका की भूमिका को कम करके आंका।
क्या ये युद्ध विराम टिकेगा
सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या ये युद्ध विराम टिकेगा। इतिहास बहुत उत्साहजनक नहीं है। हिंदुस्तान और पाकिस्तान पहले भी युद्ध विराम पर सहमत हुए हैं सन् 1948, 1965, 1999, 2003 मगर कई उल्लंघनों या अनसुलझे मुद्दों के कारण टूट गए। कश्मीर मुख्य विवाद बना हुआ है जिसमें दोनों मुल्क इसका पूर्ण दावा करते हैं और एक-दूसरे पर अशांति भड़काने का इल्जाम लगाते हैं। हाल में इस्तेमाल हुए उन्नत हथियार जैसे तुर्की के अस्सिगार्ड सोंगर ड्रोन और भारत के एस-400 सिस्टम दांव को और बढ़ाते हैं जिससे कोई भी गलती विनाशकारी हो सकती है।
बता दें कि अमेरिका, चीन, सऊदी अरब और तुर्की ने युद्ध विराम को सुगम बनाने में भूमिका निभाई।
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