Panchayat Chunav Update: शासनादेश जारी, ग्राम पंचायतों का फिर से होगा परिसीमन
Panchayat Chunav Update: उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (UP Panchayat Chunav) की तैयारियों ने जैसे पूरे राज्य की धड़कनों को तेज़ कर दिया है। गांवों की मिट्टी में चुनावी सरगर्मियां गूंजने लगी हैं, और हर कोने में उम्मीदों की सरसराहट महसूस की जा सकती है। इन्हीं तैयारियों के तहत शुक्रवार को शासनादेश जारी हुआ, जिसने गांवों के नक्शे और भविष्य को फिर से परिभाषित करने की प्रक्रिया की शुरुआत कर दी।
शासनादेश में स्पष्ट किया गया है कि बीते पंचायत चुनाव (UP Panchayat Chunav) के बाद गांवों की शक्ल और शहरी सीमाओं की रेखाएं बदल चुकी हैं। जैसे किसी पुराने चित्र में नए रंग भर दिए गए हों, वैसे ही कई ग्राम पंचायतें और राजस्व ग्राम अब नगर पंचायतों, नगर पालिका परिषदों और नगर निगमों की चकाचौंध में समा चुके हैं। इसके चलते कई गांवों की जनसंख्या हजार से कम रह गई है शांति और पहचान की तलाश में बिखरे हुए टुकड़े, जिन्हें अब दोबारा एक सूत्र में पिरोने की दरकार है।
इस परिप्रेक्ष्य में शासन ने सभी जिलों से जून तक पुनर्गठन के प्रस्ताव मांगे हैं। ये एक प्रशासनिक कवायद भर नहीं बल्कि उन लाखों ग्रामीणों की भावनाओं और परंपराओं से जुड़ा निर्णय है, जिनका जीवन इन पंचायतों से अभिन्न रूप से जुड़ा है।
ग्राम पंचायतों (gram panchayat) के पुनर्गठन की प्रक्रिया भी मानो एक संवेदनशील चित्रकार की तरह बारीकी से की जाएगी। यदि कोई ग्राम पंचायत अपने मूल राजस्व ग्राम को खो चुकी है और शेष ग्राम पंचायत बनने की पात्रता नहीं रखता, तो उसे नजदीकी पंचायत में समाहित किया जाएगा जैसे किसी अकेले चराग को उजालों की कतार में जगह दी जाती है।
ये भी पढ़ें- UP Panchayat Chunav: जानें कब तक आ सकती है वोटर लिस्ट
वहीं यदि कोई राजस्व ग्राम अपनी संख्या और पहचान को बचाए रखते हुए पंचायत के योग्य है, तो उसे स्वतंत्र पंचायत के रूप में सम्मान दिया जाएगा। विशेष ध्यान इस बात पर रहेगा कि किसी एकल राजस्व ग्राम की पहचान, उसकी ऐतिहासिकता और सांस्कृतिक आत्मा को अनदेखा न किया जाए, यदि वह जनसंख्या के न्यूनतम मानक पर खरा उतरता है।
ये भी पढ़ें- CM को बधाई के बहाने विपक्ष की रणनीति, क्या अखिलेश यादव ने छोड़ा एक पॉलिटिकल ट्रेल
इस संवेदनशील पुनर्गठन के लिए शासन ने प्रत्येक जिले में एक चार सदस्यीय समिति का गठन किया है। जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बनी इस समिति में जिला पंचायत राज अधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी और जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी शामिल होंगे। यह समिति न केवल कागजों पर सीमाएं खींचेगी बल्कि गांव की धड़कनों और लोगों की आशाओं को भी सुनेगी।
ये भी पढ़ें- UP में किंगमेकर नहीं अब किंग बनना चाहते हैं छोटे दल, पंचायत चुनाव की आड़ में ढूंढ रहें सत्ता की चाभी
इसके अतिरिक्त ये भी सुनिश्चित किया जाएगा कि नगर निकायों के सृजन या विस्तार के चलते किसी विकास खंड की अधिसूचना अधूरी न रह जाए। दरअसल, एक अधूरी अधिसूचना किसी गांव की पहचान अधूरी कर सकती है।
Pingback: अखिलेश यादव का ऐलान, कहा- 2027 में लगेगी सुहेलदेव की स्वर्ण प्रतिमा